यह ख़बर 28 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल बिल पास लेकिन संवैधानिक दर्जा नहीं

खास बातें

  • वोटिंग के दौरान सदन में 432 सदस्य थे और सरकार को दो-तिहाई बहुमत के लिए 288 सांसदों की जरूरत थी, लेकिन उसके पक्ष में 250 वोट ही पड़े।
New Delhi:

लोकसभा में मंगलवार देर रात को लोकपाल बिल पास हो गया। 12 घंटे तक चली मैराथन बहस के बाद लोकपाल बिल पास हुआ, लेकिन लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल पास नहीं हो सका, क्योंकि उसे सदन के दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन नहीं मिला। इससे पहले दिन भर चली बहस के बाद जब वोटिंग की बारी आई, तो बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। इसके बाद विपक्ष के सारे संशोधन गिरते गए। लेफ्ट के वासुदेव आचार्य ने कॉरपोरेट्स को लोकपाल के दायरे में लाने का संशोधन रखा, लेकिन गिर गया। लेकिन सरकार के कई संशोधन पास हो गए। प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए, अब लोकपाल के तीन चौथाई नहीं दो-तिहाई सदस्यों की हां जरूरी होगी। सेना के तीनों अंग लोकपाल के दायरे में नहीं आएंगे और लोकायुक्त बनाने या ना बनाने के लिए राज्य स्वतंत्र होंगे। सरकार ने लोकपाल की लड़ाई का एक दौर जीत लिया है। लेकिन फिलहाल ये जीत अधूरी मानी जा रही है। लोकपाल बिल को संवैधानिक दर्जा दिलाने का राहुल गांधी का ख्वाब अधूरा ही रह गया। सरकार की ओर से संवैधानिक दर्जा देने के लिए लाया गया बिल दो-तिहाई बहुमत न होने की वजह से गिर गया। वोटिंग के दौरान सदन में 432 सदस्य मौजूद थे और सरकार को दो-तिहाई बहुमत के लिए 288 सांसदों की जरूरत थी, लेकिन सरकार के पक्ष में 250 ही वोट पड़े। बीजेपी पर निशाना साधते हुए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरकार के पास बहुमत नहीं था और बीजेपी ने इस मामले में सरकार को धोखा दिया है। वहीं बीजेपी की तरफ से यशवंत सिन्हा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मनमोहन सरकार के बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि सरकार 273 का साधारण बहुमत जुटाने में भी नाकाम रही। लोकसभा में सरकार की किरकिरी कांग्रेस और यूपीए के कुछ सांसदों के सदन से नदारद रहने की वजह से हुई। यह बात संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने भी मानी। उन्होंने कहा कि यूपीए के कम से कम 25 सांसद वोटिंग के दौरान गैर-हाजिर रहे। हाल ही में पांच सांसदों के साथ अजित सिंह के शामिल होने से यूपीए की ताकत 277 तक पहुंच गई है, लेकिन सरकार के पक्ष में 250 सदस्यों ने ही मतदान किया, जबकि मंगलवार सुबह लोकसभा में यूपीए के 275 सांसद लोकसभा में मौजूद थे। बीजेपी ने कहा कि ये सरकार की बड़ी नाकामी है।


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