World Suicide Prevention Day: युवाओं में किन कारणों से बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले, जानें सुसाइड से बचाव के 5 तरीके

World Suicide Prevention Day: एनसीबीआर की एक रिपोर्ट के मुताबित साल 2021 में कुछ 1 लाख 64 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत में आत्महत्या की. इनमें ज्यादा युवा थे. आखिर युवाओं में आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं इस बारे में हमने बात की डॉक्टर समीर पारिख से.

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Tips To Prevent Suicide: साइकोलॉजिकल फ्रस्टेट हम सभी के जीवन का हिस्सा होनी चाहिए.

World Suicide Prevention Day 2022: आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने के कलंक को कम करने और आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है. इन दिन एक पीले रंग के रिबन को प्रतीक के रूप में पहना जाता है, ये इस बात को फैलाने में मदद करने के लिए पहना जाता है कि आत्महत्या की रोकथाम (Suicide Prevention) के बारे में बोलने से लोगों की जान बचाई जा सकती है. हर साल आत्महत्या के मामलों में एक चिंता का विषय है. एनसीबीआर की एक रिपोर्ट के मुताबित साल 2021 में कुछ 1 लाख 64 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत में आत्महत्या की. इनमें ज्यादा युवा थे. ये 2020 के मुकाबले 7.2 फिसदी उछाल पर दर्ज किए गए. आखिर युवाओं में आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं इस बारे में हमने बात की डॉक्टर समीर पारिख से.

युवाओं में आत्महत्या के कारण | Causes Of Suicide Among Youth

युवाओं में आत्महत्या के मामले बढ़ने के पीछे की वजह के बारे में बात करते हुए डॉक्टर समीर पारिख ने बताया कि, दुनियाभर में हर 40 सेकंड में सुसाइड की वजह से हम किसी अपने को खो रहे हैं. डॉक्टर पारिख ने कुछ फैक्टर बताए हैं जिसकी वजह से लोग आत्महत्या को चुनते हैं.

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1) अनट्रीटेड मेंटल इलनेस

डॉक्टर कहते हैं, कि ये किसी भी वजह से हो सकता है. हो सकता है कि हमें अपनी मानसिक बीमारी का पता न चला हो, या इलाज ठीक से नहीं किया गया या फिर हम इलाज के लिए गए ही नहीं. 

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2) लाइफ स्किल की कमी और तनाव

डॉक्टर बताते हैं कि युवाओं की लाइफ में जो परेशानियां और तनाव आते हैं उनसे निपटने के लिए लाइफ स्किल की कमी होना भी है. इससे बचने के लिए तनाव से जूझने में मदद करने वाली स्किल पर फोकस करना चाहिए. साथ ही में जो सपोर्ट सिस्टम को उसमें ये होना चाहिए कि वे किसी डिस्ट्रेस व्यक्ति की पहचान कर पाएं.

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3) हेल्पलाइन के बारे में जागरूक न होना

अगर मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति कुछ सपोर्टिव हेल्पलाइन के बारे में अवेयर नहीं है तो भी आत्महत्या की संभावना बढ़ती है.

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4) मदद लेने में हिचकिचाना

जो लोग मानसिक परेशानी से जूझ रहे होते हैं वे मदद लेने से हिचकिचाते हैं. वे सोचते हैं कि अगर में लोगों को अपनी परेशानी बताउंगा तो लोग मुझे क्रिटिसाइज करेंगे इसलिए लोग बात करने से कतराते हैं. डॉक्टर कहते हैं कि दुनियाभर में 70 प्रतिशत लोग जिनको मानसिक परेशानी है वे मदद नहीं लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके साथ डिस्क्रिमिनेश होगा.

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कैसे पहचानें कि कोई मानसिक रूप से परेशान है? | How To Recognize That Someone Is Mentally Disturbed?

डॉक्टर पारिख ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति के जीवन में कोई बदलाव आ रहा है जैसे व्यवहार में बदलाव, चिड़चिड़ हो जाना, परिवार या दोस्तों से बातचीत बंद कर देना, नेगिटिव सोच आ रही है, एक्स्प्रेशन में बदलाव, जीवन अच्छा नहीं लग रहा, उदासीनता जैसे संकेतों से पहचान सकते हैं कि सामने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान है. ये ऐसे व्यक्ति के लिए साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड हो सकता है.

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स्ट्रेस और डिप्रेशन में कैसे फर्क करें? | How To Differentiate Between Stress And Depression?

डिप्रेशन एक मेडिकल टर्म है. दुनिया की सबसे बड़ी बीमारियों में से एक जिसमें हमें लगभग 2 हफ्तों तक उदासीनता, कुछ पसंद न आना, खुशी न होना, जो चीजें पसंद थी उनमें भी खुशी न मिलना, किसी से उम्मीद न होना, जीवन के बारे में नकारात्मकता, भूख और नींद पर असर होना, ध्यान केंद्रित न कर पाना. अगर ये लक्षण दिखाई देते हैं तो समझ जाएं कि ये डिप्रेशन है.

स्ट्रेस की बात करें तो ये हम सब के जीवन में अलग-अलग तरह से आता है. हो सकता है कि किसी को एग्जाम का स्ट्रेस है किसी को रिलेशनशिप का स्ट्रेस है, किसी के घर में कोई बीमार है तब स्ट्रेस है, भविष्य को लेकर स्ट्रेस है तो स्ट्रेस वह है जो आपके जीवन में कोई चिंता या परेशानी लाता है जिससे आप कैसे जूझते हैं उस पर निर्भर करता है कि आपको स्ट्रेस हुआ है या नहीं. इसमें स्किल सेट काफी मदद करती हैं. स्ट्रेस सबकी जिंदगी में आता और जाता रहता है.

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तनाव या डिप्रेशन से कैसे बचा जाए? | How To Avoid Stress Or Depression?

डॉक्टर कहते हैं कि सबसे बेहतर है कि किसी न किसी से बात करें. अपने अंदर उधेड़बुन से कुछ नहीं होगा. जब आप किसी से बात करते हैं कि आप समाधान की तरफ जाते हैं. चाहे आप परिवार में किसी से बात करिए, दोस्त से बात करिए, किसी कलीग से बात करिए या किसी मनोवैज्ञानिक से बात करें लेकिन बात करें. खुद से बदलाव करने की कोशिश करें अपनी लाइफस्टाइल या लाइफ स्किल को इंप्रूव करें.

आत्महत्या के विरुद्ध हमें सामाजिक तौर पर कैसे एकजुट होना चाहिए?

डॉक्टर बताते हैं कि आत्महत्या का निवारण मौजूद है और इसे प्रीवेंट किया जा सकता है. अगर हम सुसाइड प्रीवेंशन पर काम नहीं करते हैं तो हर मौत हम सभी के लिए एक है लॉस है. वो हमारा कलेक्टिव फेलियर होगा. जब कोई आपसे बात करे तो पहले समझिए कि वो क्या परेशान है उनको मदद करिए कि वो इस परेशानी से बाहर आएं.

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सुसाइड से बचाव के लिए 5 टिप्स | 5 Tips To Prevent Suicide

1) सपोर्ट सिस्टम अगर अच्छा हो. हमारे बुरे से बुरे वक्त में जब हमें लग रहा है कि भविष्य अंधकार में है वहां पर कोई हमें उजाला दिखा सके. हमें समाधान की तरफ लेकर जाए ये सुसाइड प्रीवेंशन है.

2) हेल्पलाइन के बारे में सभी को पता हो, हर भाषा में हेल्पलाइन हों.

3) डॉक्टर कहते हैं कि, सोशल इकनॉमिक सिक्योरिटी के बारे में पूरे समाज को सोचने की जरूरत है. 

4) मेंटल हेल्थ करिकुलम, लाइफ स्किल्स स्कूल और कॉलेज में हों.

5) साइकोलॉजिकल फ्रस्टेट हम सभी के जीवन का हिस्सा बने.

(डॉक्टर समीर पारिख, डायरेक्टर ऑफ मेंटल हेल्थ एंड विहेवियर साइंसेज)

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