Diabetic Retinopathy Symptoms: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में डायबिटीज एक आम बीमारी बन चुकी है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अगर डायबिटीज को समय पर कंट्रोल न किया जाए, तो यह सिर्फ ब्लड शुगर ही नहीं बढ़ाता, बल्कि आपकी आंखों की रोशनी भी छीन सकता है? जी हां, डायबिटीज से जुड़ी एक गंभीर आंखों की बीमारी है डायबिटिक रेटिनोपैथी, जो धीरे-धीरे अंधेपन की ओर ले जा सकती है. आई7 हॉस्पिटल के सीनियर विट्रियो-रेटिना स्पेशलिस्ट डॉ. पवन गुप्ता के अनुसार, डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है जिसमें डायबिटीज की वजह से आंख के पीछे की परत यानी रेटिना प्रभावित होती है. शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, आंखों की रोशनी पर असर पड़ने लगता है.
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डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है? (What is Diabetic Retinopathy?)
- यह एक आंखों की बीमारी है जो डायबिटीज के मरीजों को होती है.
- इसमें आंख के पीछे की परत रेटिना में ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती हैं.
- रेटिना वह हिस्सा है जो रोशनी को पहचानकर दिमाग तक पहुंचाता है. जब यह प्रभावित होता है, तो नजर कमजोर होने लगती है.
शुरुआती स्टेज में लक्षण क्यों नहीं दिखते?
डॉ. पवन गुप्ता बताते हैं कि डायबिटिक रेटिनोपैथी की शुरुआत में 2–3 साल तक कोई लक्षण नहीं दिखते. यही वजह है कि लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं और जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक नुकसान हो चुका होता है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी के शुरुआती संकेत (Early Signs of Diabetic Retinopathy)
धुंधला दिखाई देना: साफ चीजें भी धुंधली नजर आने लगती हैं.
रात में देखने में परेशानी: कम रोशनी में नजर कमजोर हो जाती है.
सीधी लाइनें टेढ़ी-मेढ़ी दिखना: अखबार या किताब पढ़ते समय लाइनें सीधी नहीं दिखतीं.
फोकस करने में दिक्कत: पढ़ने-लिखने या स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है.
काले धब्बे दिखना: आंखों के सामने छोटे-छोटे काले धब्बे या धुएं जैसे धब्बे नजर आते हैं.
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बीमारी बढ़ने पर क्या होता है?
- अगर डायबिटीज कंट्रोल में न रहे, तो आंखों में ब्लीडिंग शुरू हो सकती है.
- रेटिना पर खिंचाव बनने लगता है जिससे पर्दा अपनी जगह से हट सकता है.
- ऐसी स्थिति में मरीज की नजर अचानक से पूरी तरह जा सकती है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच कैसे होती है?
- फंडस एग्जामिनेशन: आंख के अंदर की परत की जांच की जाती है.
- OCT टेस्ट: रेटिना की मोटाई और सूजन को मापा जाता है.
- फ्लोरोसिन एंजियोग्राफी: आंखों की ब्लड वेसल्स में लीकेज की जांच होती है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव के उपाय क्या हैं?
ब्लड शुगर कंट्रोल रखें: रोजाना शुगर लेवल की जांच करें और डॉक्टर की सलाह लें.
नियमित आंखों की जांच कराएं: हर 6 महीने में आंखों की जांच जरूरी है.
बैलेंस डाइट लें: विटामिन A, C और E से भरपूर भोजन करें.
धूम्रपान और शराब से बचें: ये आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं.
एक्सरसाइज करें: रोजाना हल्की फिजिकल एक्टिविटी से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है.
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डायबिटीज सिर्फ एक मेटाबॉलिक बीमारी नहीं है, बल्कि यह आंखों की रोशनी तक छीन सकती है. डायबिटिक रेटिनोपैथी एक साइलेंट किलर की तरह काम करती है, जो बिना लक्षणों के आंखों को नुकसान पहुंचाती है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आंखों की नियमित जांच और शुगर कंट्रोल आपके लिए बेहद जरूरी है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)