World Heart Day: एक समय होता था, जब हार्ट अटैक के केस 50 साल की उम्र के बाद के लोगों में देखने को मिलते थे, लेकिन अब 15 साल के बच्चे को भी हार्ट अटैक आ जाता है. वहीं पिछले कई सालों से देखा रहा जा रहा है कि जो लोग फिट हैं और जिम जाते हैं उन्हें भी हार्ट अटैक आ जाता है. इसी के साथ कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर साल कई युवा एथलीटों की अचानक मौत हार्ट अटैक आने से हुई है. ऐसे में वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर आइए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, पद्म भूषण डॉ. टी. एस. क्लेर से जानते हैं कि यंग लोगों में हार्ट अटैक आने की क्या वजह है.
डॉ. टी. एस. क्लेर ने कहा, ये सच है कि पहले ही तुलना में अब यंग लोगों में हार्ट अटैक आने के केस ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. लेकिन सबसे पहले हमें इस बात को समझने की जरूरत है कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों ही अलग- अलग है.
डॉ. टी. एस. क्लेर के अनुसार दिल की जो नाड़ी खून का आदान- प्रदान करती है और अचानक बंद हो जाती है, तो हार्ट अटैक आ जाता है. इसी के साथ हार्ट अटैक के कारण कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. वहीं सभी कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक के कारण नहीं होते हैं. इसी के साथ डॉक्टर ने आगे बताया कि, अगर सिम्टम देखने से एक घंटे के अंदर किसी इंसान की डेथ हो जाती है, तो उसे सडन कार्डियक डेथ कहते हैं, जिसके 85% कारण हार्ट अटैक नहीं होते हैं. इसका मतलब ये है कि उन्हें पहले से ही दिल की कोई बीमारी है, जिसके बारे में उन्हें ज्ञान नहीं होती है.
किस स्थिति में होती है अचानक मृत्यु?
डॉ. टी. एस. क्लेर ने बताया - 12 से 15% सडन कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक के कारण होता है, वहीं हार्ट अटैक दिल की नाड़ी की ब्लॉकेज के कारण होता है. उन्होंने कहा, होने वाली ज्यादातर मौतें सिर्फ हार्ट अटैक के कारण नहीं होती है. उन्होंने आगे कहा- हार्ट की पंपिंग कैपेसिटी को इजेक्शन फ्रैक्शन (EF) कहा जाता है, अगर यह 35% से कम हो जाए, तो अचानक होने वाली मृत्यु की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. बता दें, संभावना है कि ऐसे लोगों को कार्डियक अरेस्ट आने की संभावना अधिक होती है.
ये भी पढ़ें- शरीर के लिए दुश्मन नहीं है कोलेस्ट्रॉल, यहां समझें पूरी गणित
हार्ट की पंपिंग कैपेसिटी कम होने के दो कारण है, एक है, दिल की नाड़ियों में ब्लॉकेज का आना, दूसरा कारण है, दिल की मसल्स की बीमारी. डॉक्टर ने बताया कि, हार्ट अटैक अचानक नहीं आता है. शरीर आपको पहले ही संकेत दे देता है, जैसे चलने में सांस फूलना, थकान आना, खांसी आदि. ऐसे में आज यंग लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)