Rh Factor Test: एक गर्भवती महिला के लिए डॉक्टर्स कई शुरुआती टेस्ट करने की सलाह देते हैं, उनमें ब्लड-टाइप टेस्ट शामिल है. यह टेस्ट उनके ब्लड टाइप और आरएच फैक्टर की जांच करता है. मां का आरएच फैक्टर (Rh Factor) उसके बच्चे की सेहत से जुड़ा होता है, इसलिए गर्भावस्था की शुरुआत में इस जानकारी को जानना अहम हो जाता है. आइए जानते हैं कि आरएच फैक्टर क्या है और गर्भावस्था के दौरान आरएच असंगति का क्या मतलब होता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है.
आरएच फैक्टर क्या है? | What Is The Rh Factor?
आरएच फैक्टर कुछ रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) पर पाया जाने वाला प्रोटीन है. हर कोई इस प्रोटीन को अफोर्ड नहीं करता है, हालांकि ज्यादातर करते हैं, ऐसे लोग आरएच पॉजिटिव होते हैं. जिनमें ये प्रोटीन नहीं होता है वे आरएच नेगेटिव होते हैं.
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गर्भावस्था के दौरान आरएच असंगति | Rh Incompatibility During Pregnancy
जब होने वाली मां और होने वाले पिता का आरएच फैक्टर पॉजिटिव या निगेटिव नहीं होता, तो इसे आरएच असंगति कहा जाता है. जैसे अगर एक पुरुष जो आरएच पॉजिटिव है और एक महिला जो आरएच नेगेटिव है, गर्भ धारण करती है, तो भ्रूण में आरएच-पॉजिटिव ब्लड हो सकता है, जो पिता से विरासत में मिला है. (आरएच-निगेटिव मां और आरएच-पॉजिटिव पिता से पैदा हुए बच्चों में से लगभग आधे बच्चे आरएच-पॉजिटिव होते हैं).
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अगर मां की पहली गर्भावस्था है तो आरएच असंगति (Incompatibility) आमतौर पर कोई समस्या नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान बच्चे का ब्लड सामान्य रूप से मां के कम्यूनिकेशन सिस्टम में प्रवेश नहीं करता है. हालांकि, जन्म के दौरान मां और बच्चे का खून मिल सकता है. अगर ऐसा होता है, तो मां का शरीर आरएच प्रोटीन को एक बाहरी पदार्थ के रूप में पहचान लेता है. यह तब आर प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी (प्रोटीन जो बाहरी कोशिकाओं के शरीर में प्रवेश करने पर रक्षक के रूप में कार्य करता है) बनाना शुरू कर सकता है.
आरएच निगेटिव गर्भवती महिलाओं को आरएच प्रोटीन के संपर्क में लाया जा सकता है जो अन्य तरीकों से भी एंटीबॉडी उत्पादन का कारण बन सकता है. इसमे शामिल हैः
- आरएच पॉजिटिव ब्लड के साथ ब्लड ट्रांसफ्यूजन
- गर्भपात
- इक्टोपिक प्रेगनेंसी
गर्भ में पल रहे बच्चे पर खतरा कब?
मां के दूसरे गर्भधारण तक आरएच एंटीबॉडी हानिरहित हैं. अगर वह कभी एक और आरएच पॉजिटिव बच्चे को गर्भ में धारण करती है, तो उसके आरएच एंटीबॉडी बच्चे के ब्लड सेल्स की सतह पर आरएच प्रोटीन को बाहरी के रूप में पहचान लेंगे. उसके एंटीबॉडी बच्चे के ब्लड फ्लो में चले जाएंगे और उन कोशिकाओं पर हमला करेंगे. इससे बच्चे की RBCs सूज सकती हैं और फट सकती हैं. इसे नवजात शिशु के हेमोलिटिक या आरएच रोग के रूप में जाना जाता है. इससे बच्चे का ब्लड काउंट बहुत कम हो सकता है.
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इस कंडिशन का इलाज कैसे किया जाता है?
अगर एक गर्भवती महिला में आरएच असंगति विकसित करने की क्षमता है, तो डॉक्टर उसे उसकी पहली गर्भावस्था के दौरान दो आरएच इम्यूनिटी-ग्लोब्युलिन शॉट्स की सीरीज देते है. यानी गर्भावस्था के 28वें हफ्ते के आसपास पहला शॉट और दूसरा शॉट जन्म देने के 72 घंटे के भीतर.
आरएच इम्यून-ग्लोब्युलिन वैक्सीन की तरह काम करता है. यह मां के शरीर को कोई भी आरएच एंटीबॉडी बनाने से रोकता है जो नवजात शिशु में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है या भविष्य की गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है.
गर्भपात, एमनियोसेंटेसिस या गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव होने पर एक महिला को आरएच इम्यून-ग्लोब्युलिन की एक खुराक भी मिल सकती है.
दुर्लभ मामलों में, अगर असंगति गंभीर है, तो बच्चे का जन्म से पहले (अंतर्गर्भाशयी भ्रूण ट्रांसफ्यूजन) या डिलीवरी के बाद स्पेशल ब्लड ट्रांसफ्यूजन हो सकता है जिसे एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन कहा जाता है. एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन बच्चे के ब्लड को आरएच नेगेटिव ब्लड सेल्स के साथ खून से बदल देता है. यह रेड ब्लड सेल्स लेवल को स्थिर करता है और पहले से ही बच्चे के ब्लड फ्लो में आरएच एंटीबॉडी से होने वाले नुकसान को कम करता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.