एडवांस स्तन कैंसर से पीड़ित 27 व 50 वर्ष की दो महिलाओं की रोबोटिक मास्टेक्टॉमी से सफल सर्जरी की गई. डॉक्टरों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि दा विंची रोबोट की मदद से न्यूनतम चीरफाड़़ की तकनीक रोबोट असिस्टेड फंक्शनल ब्रेस्ट प्रिजर्वेशन सर्जरी (आरएएफबीपीएस) के जरिए इसे अंजाम दिया गया. यह भारत में अपनी तरह की पहली सर्जरी है.
अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा ने कहा, इस तकनीक के जरिए भारत में की गई यह पहली सर्जरी अधिक सटीक और न्यूनतम चीरफाड़ वाली थी."
उन्होंने कहा, "इस प्रकार की सर्जरी में, ऊतक को हटाने और स्तन का पुनर्निर्माण करने के लिए बगल से स्तन में प्रवेश करने के लिए एक रोबोट का उपयोग किया जाता है. इस तकनीक से बहुत हद तक स्तन की त्वचा के साथ साथ निपल को भी संरक्षित किया जाता है. इस प्रकार स्तन की संवेदना बरकरार रहती है."
27 वर्षीय महिला अपने बच्चे के जन्म के कुछ महीने बाद स्तन में गांठ के साथ अस्पताल आई थी. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान स्तन में परिवर्तन से जुड़े लक्षणों की पहचान न कर पाने के कारण कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच गया था.
महिला को कीमोथेरेपी दी गई. इसका अच्छा प्रभाव पड़ा. इससे अवशिष्ट ट्यूमर को हटाने में मदद मिली.
बिना किसी जटिलता के मरीज की आरएएफबीपीएस हुई और उसमें तेजी से सुधार हुआ.
50 साल की उम्र वाली महिला को प्रारंभिक चरण का स्तन कैंसर था. लेकिन उसके स्तन में तीन गांठें थीं. आरएएफबीपीएस ने कैंसरग्रस्त ऊतक को हटाने के लिए रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट का उपयोग किया और साथ ही स्तन के पुनर्निर्माण के लिए पीछे से ऊतक को काटा.
डॉ मनदीप ने कहा,“यह प्रक्रिया स्तन की संवेदना को पूर्ण रूप से संरक्षित करते हुए अच्छा परिणाम देती है. सर्जरी के बाद भी स्तन मूल स्तन जैसा ही दिखता है.”
डॉक्टर ने शुरुआती चरण के स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के लिए इस प्रक्रिया को बहुत बेहतर बताया.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)