पेट में जलन, दर्द और भारीपन को न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं अल्सर के संकेत

Ulcer Remedies: आयुर्वेद में अल्सर केवल एक शारीरिक रोग नहीं बल्कि शरीर और मन दोनों के असंतुलन का संकेत है.

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Ulcer Remedies: अल्सर का घरेलू उपाय.

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हर कोई खुद की सेहत का ख्याल रखना भूल रहा है. सुबह की शुरुआत जल्दीबाजी में होती है, दोपहर में काम का तनाव रहता है और रात को थककर जो भी खाने को मिल जाए, उसे खाकर सो जाना आदत बन चुकी है. ऐसी लाइफस्टाइल में सबसे ज्यादा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है, और इसी वजह से पेट की कई गंभीर बीमारियां शुरू होने लगती हैं. इन्हीं बीमारियों में एक है 'पेट का अल्सर'.

आधुनिक चिकित्सा इसे पेट की अंदरूनी परत में हुए घाव के रूप में देखती है, लेकिन आयुर्वेद में यह केवल एक शारीरिक रोग नहीं बल्कि शरीर और मन दोनों के असंतुलन का संकेत है. आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर की 'अग्नि,' यानी पाचनशक्ति, कमजोर हो जाती है और पित्त दोष बढ़ने लगता है, तब यह दोष पेट की नाज़ुक परत को प्रभावित करता है. धीरे-धीरे यह परत जलने लगती है और वहां घाव, यानी छाले, बनने लगते हैं. यही स्थिति पेट में अल्सर कहलाती है. इसे आयुर्वेद में 'परिणाम शूल' या 'अन्नवह स्रोतों का विकार' कहा गया है.

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चरक संहिता में कहा गया है कि यह अचानक नहीं होता. इसकी जड़ें हमारी ही दिनचर्या में छुपी होती हैं. जब हम बार-बार चाय, कॉफी पीते हैं, तीखा और बासी खाना खाते हैं, खाली पेट रहते हैं या देर रात तक जागते हैं तब शरीर में पित्त इकट्ठा होने लगता है. मानसिक तनाव और गुस्सा भी पित्त को और बढ़ाते हैं. यह पित्त जब ज्यादा हो जाता है, तो यहीं से अल्सर की शुरुआत होने लगती है.

पेट में अल्सर होने पर सबसे पहले पेट के ऊपरी हिस्से में जलन या तेज दर्द महसूस होता है. भोजन करने के तुरंत बाद भारीपन लगता है, एसिडिटी होती है, खट्टी डकारें आती हैं, और कई बार उल्टी या मतली की शिकायत भी होती है. कुछ मामलों में यह इतना गंभीर हो जाता है कि उल्टी में खून आने लगता है या मल काला पड़ने लगता है, जो साफ संकेत होता है कि स्थिति अब गंभीर हो गई है.

आधुनिक चिकित्सा इस पर एंटासिड, दर्द निवारक या एंटीबायोटिक देती है, जो तात्कालिक आराम तो देती हैं, लेकिन जब तक जीवनशैली में बदलाव नहीं लाया जाए, यह समस्या बार-बार लौटती रहती है. वहीं आयुर्वेद का नजरिया अलग है. यह शरीर को उसकी प्राकृतिक स्थिति में वापस लाने की बात करता है, शरीर के दोषों को संतुलित करना, अग्नि को मजबूत बनाना और शरीर को ठीक होने की शक्ति देना कि वह खुद से रोग से लड़ सके.

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पेट के अल्सर को दूर करने का घरेलू उपाय- (Ulcer Ka Gharelu Upaye)

आयुर्वेद में कई सरल घरेलू उपाय बताए गए हैं, जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, जैसे कि मुलेठी, जिसका चूर्ण दूध या गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट की परत को राहत मिलती है, शुद्ध देसी घी, जो पित्त को ठंडक देता है और अल्सर के घाव को भरने में मदद करता है, एलोवेरा जूस, आंवला, नारियल पानी, धनिया-सौंफ का पानी और शतावरी चूर्ण ये सभी पेट की रक्षा करते हैं और पाचन अग्नि को संतुलित करते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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