पिता को कभी नहीं करनी चाहिए बेटी से ये 4 बातें, बेटी भटक जाएगी रास्‍ता | Parenting Tips For Father

Parenting Tips For Father: अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी लाड़ली खुल कर जि‍ए, अपने जीवन को सही मार्ग पर लेकर जाए और आत्‍मविश्‍वास से भरपूर हो, तो एक पिता होने के नाते आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना होगा. तो चलिए बिना देर करे जानते हैं वो चार बातें कौन सी हैं, जो एक पिता को अपनी बेटी से कभी नहीं कहनी चाहिए.

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Things You Should Never Say to Your Child: पिता और बेटी के बीच एक अच्छा रिश्ता कैसे बनाएं?

Parenting Tips For Father: बेटी और पिता का रिश्‍ता अपने आप में बहुत अहम होता है. पिता बेटी (Daughter Father) के जीवन में बहुत मायने रखते हैं. वो कहते हैं न हर स्‍त्र‍ी का पहला प्‍यार (Stri ka pahla pyar) उसके पिता हैं और हर औरत अपने पति में अपने पिता को तलाशती है. पिता का व्‍यवहार कैसा है यह काफी हद तक बेटी (Beti) का मानसिक स्‍तर तय करता है. अगर आप बेटी (Beti ki parvarish) को मैरी कॉम बनाना चाहते हैं, तो आपको उसके साथ वैसा ही व्‍यवहार करना होगा. और अगर आप उसे दबी और सहमी हुई गृहणी बनाना चाहते हैं, तो भी आपको अपना व्‍यवहार वैसा ही रखना होगा. तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी लाड़ली (Ladli beti) खुल कर जि‍ए, अपने जीवन को सही मार्ग पर लेकर जाए और आत्‍मविश्‍वास से भरपूर हो, तो एक पिता होने के नाते आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना होगा.

तो चलिए बिना देर करे जानते हैं वो चार बातें कौन सी हैं, जो एक पिता को अपनी बेटी से कभी नहीं कहनी चाहिए. क्‍यों ये वो बातें हैं जो उसे सफलता और आत्‍मविश्‍वास भरे रास्‍ते से भटकाकर डरपोक और दब्‍बू बनने के रास्‍ते पर ला सकती हैं.

जिंदगी में कभी भी अपनी बेटी से न कहें ये 4 बातें | Things you should never say to your daughter

1. तुम पराई हो : सबसे बुरी बात जो एक पिता अपनी बेटी को कह सकते हैं वह है कि तुम इस घर की नहीं हो, तुम तो पराई हो और एक दिन तुम्‍हें चले जाना है. अगर आप अपनी बेटी से बचपन से ऐसी बातें करते हैं, तो यह उसे अंदर से अकेला कर सकता है. पूरे पर‍िवार में उसे अलग थलग महसूस करा सकता है. इसके बदले अपनी बेटी को समझाएं कि वह कहीं भी जाए यह घर उसका था, है और रहेगा. उसका जब मन करे वह यहां आ सकती है. फिर देखें आपकी बेटी कैसे आत्‍मविश्‍वास से भर जाती है.

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2. जोर से मत हंसा करो : अगर आप भी उस समय की सोच रखते हैं कि महिलाओं को हल्‍की और धीमी आवाज में बात करनी चाहिए तो अपनी बेटी की भलाई के लिए इसे बदलने का काम करें. अगर आप अपनी बेटी की आवाज दबाएंगे, तो उसे बाहरी दुश्‍मनों की जरूरत नहीं. उसे कहें कि वह जैसी है वैसी रहे, जितना जो से हंसने का मन करता है हंसे. उसे लोगों के लिए अपनी खुशी को दबाने की जरूरत नहीं.

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3. चार लोग क्‍या कहेंगे : ऐसा मत करो, वैसा मत करो, लोग क्‍या कहेंगे. लोगों की सोच कर अपनी बेटी को बंधनों में न बांधें. एक सपोर्टिव फादर बनें और लोगों की परवाह छोड़ कर अपनी बेटी की परवाह करें. अगर आप खुद ही उसे यह सोच दे देंगे कि वह लोगों की सोचकर चले तो वह कभी अपनी खुशी को ऊपर नहीं रख पाएगी. उसे सिखाएं कि वही करे जो उसका मन माने और जो उसे हर तरह से सही लगता हो. हां, गलत रास्‍ते को पहचानने का हुनर भी आपको इसके साथ उसे सिखाना होगा. 

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4. लड़कों से बात क्‍यों करती हो : अपनी बेटी को कभी भी उसके दोस्‍त चुनने पर ताने न मारें. न ही उसके दोस्‍तों को जेंडर के आधार पर बांटें. हो सकता है कि आपके जमाने में लड़के और लड़कियां दोस्‍त न होते हों, लेकिन आज जमाना बदल चुका है. यह आम बात है. अगर आप इसके लिए उसे टोकेंगे, तो हो सकता है कि वह अपने पियर ग्रुप में अलग थलग पड़ जाए. उसका आत्‍मव‍िश्‍वास इससे कमजोर होगा और वह दूसरे जेंडर के साथ नॉर्मल फील नहीं करेगी.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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