शिशु और मां के बीच की बॉन्डिंग की वजह है ये प्रोटीन, बैज्ञानिकों ने चूहों पर की गई स्टडी से लगाया पता

Mother Baby Bond Hormone: समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं ने चूहों पर ये प्रयोग किया और नेचुरल बिहेवियर को प्रभावित किए बिना उनकी ब्रेन सेल्स को शांत करने की एक गैर-आक्रामक विधि विकसित की है.

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ऑक्सीटोसिन शिशुओं में रेस्ट, लव और सहानुभूति जैसी भावनाओं को विकसित करने में मदद करता है.

Mother Baby Bond Hormone: आपने देखा होगा शिशु और मां के बीच एक बॉन्डिंग होती है. शिशु को ये अहसास हो जाता है मां दूर जा रही है या उसके पास आ गई है. मां की गोद में रोता हुआ बच्चा चुप हो जाता है. इजरायली शोधकर्ताओं ने उस प्रोटीन का पता लगाया है जो शिशु और मां के बीच की बॉन्डिंग में बड़ी भूमिका निभाता है. ये ऑक्सीटोसिन है जो माता-पिता से अलग होने का एहसास कराता है. ऑक्सीटोसिन शिशुओं में रेस्ट, लव और सहानुभूति जैसी भावनाओं को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है.  समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं ने चूहों पर ये प्रयोग किया और नेचुरल बिहेवियर को प्रभावित किए बिना उनकी ब्रेन सेल्स को शांत करने की एक गैर-आक्रामक विधि विकसित की है.

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ये तकनीक क्या पता लगाती है?

इस तकनीक का उपयोग करके टीम ने यह पता लगाया कि ब्रेन में ऑक्सीटोसिन की एक्टिविटी शिशुओं के अपनी माताओं से अलग होने के अनुभव को कैसे प्रभावित करती है.

ऑक्सीटोसिन का प्रभाव

ऑक्सीटोसिन को अक्सर 'लव हार्मोन' कहा जाता है, क्योंकि यह सामाजिक बंधन को बढ़ावा देने में मदद करता है. हालांकि ज्यादातर अध्ययन एडल्ट्स पर फोकस्ड रहे हैं, लेकिन नए शोध से पता चलता है कि ऑक्सीटोसिन नन्हे मुन्नों को भी प्रभावित करता है.

स्टडी में क्या पाया गया?

देखा गया कि जिन चूहे के बच्चों का ऑक्सीटोसिन एक्टिव था वो अपनी मांओं से दूर किए जाने पर कम रोए और अपने आपको परिस्थिति के अनुकूल ढाल लिया. वहीं जिन चूहों का ऑक्सीटोसिन सिस्टम बंद कर दिया गया, वे खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढाल नहीं पाए और अपनी मां की अनुपस्थिति में बेचैन रहे.

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साइंस पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि एक्टिव ऑक्सीटोसिन वाले चूहों का बर्ताव अपनी मां से मिलने के बाद अलग था. कुछ अलग तरह से आवाज निकाल रहे थे और पुनर्मिलन के बाद उनकी पुकार में बेचैनी नहीं सुकून का पुट था. टीम ने मादा और नर चूहों (शिशु) के बीच शुरुआती अंतर भी खोजे.

शोधकर्ताओं ने कहा कि मादा पिल्ले ऑक्सीटोसिन एक्टिविटी में बदलाव से ज्यादा प्रभावित होती हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन इस बात की एक नई समझ प्रदान करता है कि कैसे प्रारंभिक जीवन के अनुभव और ब्रेन केमिकल्स विज्ञान भविष्य के भावनात्मक और सामाजिक व्यवहार को आकार देते हैं. अध्ययन के अनुसार, यह शोध भविष्य में ऑटिज्म जैसी स्थिति को समझने में मदद कर सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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