No Smoking Day: एक या दो नहीं इन 14 से ज्यादा बीमारियों का खतरा बढ़ाती है सिगरेट, बीड़ी की आदत, आज छोड़ोगे तो भी नार्मल होने में लगेंगे सालों

No Smoking Day 2024: धूम्रपान के दूसरे बुरे असर में प्रजनन संबंधी समस्याएं, मुंह से दुर्गंध, स्किन डिजीज और नर्व सिस्टम की कमजोरी का खतरा बढ़ जाता है.

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स्मोकिंग से होती हैं ये घातक बीमारियां, जान कर हो जाएंगे हैरान

Side Effects Of Smoking: सिगरेट पीने से आपकी सेहत को होने वाले खतरनाक नुकसान के बारे में अगर आप जान लेंगे तो इस गंदी आदत से फौरन तौबा कर लेंगे. इससे भी खतरनाक बात यह है कि सिगरेट सिर्फ स्मोकिंग करने वाले शख्स को ही नहीं बल्कि उसके आसपास के लोगों को भी दिक्कत में डाल देता है. इसलिए पैसिव स्मोकिंग से भी खुद का बचाव करना जरूरी है. क्योंकि सिगरेट पीने वाले खुद के साथ ही अपने करीबी लोगों को भी मुसीबत में डाल देते हैं.

स्मोकिंग करने वाले शख्स के लिए हृदय रोग, ब्रेन स्ट्रोक और कई तरह के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. धूम्रपान के दूसरे बुरे असर में प्रजनन संबंधी समस्याएं, मुंह से दुर्गंध, स्किन डिजीज और नर्व सिस्टम की कमजोरी का खतरा बढ़ जाता है. सिगरेट पीने से आंखों की रोशनी कम होने और मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ भी जाता है.

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सिगरेट पीने से होने वाले नुकसान (Harmful effects of cigarette smoking)

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, सिगरेट पीने से बॉडी के लगभग सभी अंगों को नुकसान पहुंचता है और कई बीमारियां होती हैं. सीडीसी ने अपनी स्टडी में सिगरेट पीने से हेल्थ पर होने वाले बुरे असर के बारे में डिटेल में बताया है. आइए, उसके बारे में हम भी जानते हैं ताकि स्मोकिंग की बुरी आदत से खुद भी बचें और दूसरों को भी सिगरेट छोड़ने के लिए फैक्ट्स और एविडेंस के साथ जागरूक कर सकें.

फेफड़े के कैंसर की आशंका

सिगरेट पीने से इंसान के फेफड़े खराब हो जाते हैं. क्योंकि स्मोकिंग से कोई भी शख्स दूसरे केमिकल्स के अलावा निकोटीन भी लेता है. फेफड़ों के कैंसर के जानलेवा खतरे के तेजी से बढ़त के लिए सिगरेट जिम्मेदार है. यह जोखिम पुरुषों के लिए 25 गुना और महिलाओं के लिए 25.7 गुना ज्यादा है. सीडीसी की रिपोर्ट है कि फेफड़े के कैंसर से होने वाली 10 में से लगभग 9 मौतें धूम्रपान से जुड़ी हैं.

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सीओपीडी

सिगरेट पीने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर (सीओपीडी) बढ़ने और उससे जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है. अमेरिकन लंग एसोसिएशन की रिपोर्ट है कि सीओपीडी से होने वाली 80 फीसदी मौतों का कारण धूम्रपान है.

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क्रोनिक ब्रोंकाइटिस

सिगरेट क्रोनिक ब्रोंकाइटिस को भी बढ़ाता संबंधित है. स्मोकिंग अस्थमा के दौरे को भी ट्रिगर कर सकते हैं.

दिल की बीमारी

सिगरेट पीने से हृदय, खून की नलियों और ब्लड सेल्स को नुकसान हो सकता है. सिगरेट में मौजूद केमिकल और टार किसी इंसान में एथेरोस्क्लेरोसिस के खतरे को बढ़ा सकते हैं. यह खून की नलियों में प्लाक बनाता है. धूम्रपान से धमनी रोग (पीएडी) का खतरा भी बढ़ जाता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो जाता है.  स्मोकिंग और पीएडी डेवलप होने के बीच सीधा संबंध है. पीएडी होने से ब्लड क्लॉटिंग, एनजाइना या सीने में दर्द, स्ट्रोक, हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है.

महिला स्मोकर के लिए प्रेग्नेंसी की मुश्किलें

सिगरेट पीने से महिला की रिप्रोडक्शन सिस्टम को नुकसान हो सकता है. उनकी प्रेगनेंसी में काफी मुश्किल हो सकती है. क्योंकि तंबाकू और सिगरेट में मौजूद केमिकल्स हार्मोन के लेवल को असंतुलित करते हैं. वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान स्मोकिंग करने से महिला की कोख में पल रहे भ्रूण के लिए भी काफी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. उसकी जान भी जा सकती है.

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पुरुषों में सेक्सुअल डिसऑर्डर

पुरुषों के लिए सिगरेट पीना सेक्सुअल हेल्थ के लिए भी काफी नुकसान करने वाला है. जितना अधिक और जितनी देर तक वे स्मोकिंग करते हैं उतना ही खतरनाक नुकसान उठाना पड़ता है. इरेक्टल डिसफंक्शन और स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी पर खतरा बढ़ जाता है. इससे बाप बन सकने की उनकी क्षमता कम हो सकती है.

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टाइप 2 डायबिटीज का खतरा

सीडीसी की रिपोर्ट है कि जो लोग नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 30-40 फीसदी ज्यादा होता है. सिगरेट पीने से डायबिटीज के मरीजों को के लिए अपनी हालत को मैनेज करना और भी मुश्किल हो सकता है.

कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम

रेगुलर सिगरेट पीने से किसी भी शख्स की इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो सकती है. बॉडी में अचानक सूजन आ जाती है. इसके बाद वह किसी बीमारी की चपेट में आने के लिए ज्यादा सेंसेटिव हो जाता है.

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आंखों की रोशनी कम होना

सिगरेट पीने से आंखों की समस्याएं हो सकती हैं. इनमें मोतियाबिंद और मैक्यूलर डिजनरेशन का बड़ा जोखिम भी शामिल है. स्मोकिंग के चलते आंखें सूखना, आंख में बीमारी होना, ग्लूकोमा और डायबिटीज से जुड़ी रेटिनोपैथी भी हो सकती है.

ओरल हाइजीन की दिक्कत

जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें मसूड़ों की बीमारी का खतरा दोगुना होता है. यह जोखिम स्मोकिंग की जाने वाली सिगरेट की संख्या के साथ ही बढ़ता जाता है. चेन स्मोकर के लिए मसूड़ों में सूजन, ब्रश करते समय खून आना, दांत ढीले होना और दांतों का अचानक सेंसेटिव हो जाने की दिक्कत भी बढ़ जाती है.

स्मोकिंग के कारण मुंह से दुर्गंध आना भी शुरू हो जाता है. तम्बाकू और स्मोकिंग के कारण किसी भी चीज़ों का ठीक से स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता भी सीमित हो सकती है. इससे दांतों पर पीला या भूरा दाग भी पड़ सकता है.

समय से पहले बुढ़ापा

इंसान की स्किन, बाल और नाखून पर तम्बाकू और स्मोकिंग का बेहद बुरा असर होता है. धूम्रपान करने वाले शख्स को समय से पहले बुढ़ापा, झुर्रियों वाली स्किन का सामना करना पड़ता है. स्मोकिंग के कुछे बुरे असर में टेढ़ी आंखें,  चेहरे की झुर्रियां गहरी होना, सूखी स्कीन, ढीले जबड़े वगैरह शामिल हैं. स्मोकिंग के कारण बालों और स्किन से तंबाकू जैसी स्मेल आ सकती है. यह बालों के झड़ने और गंजेपन की वजह भी बन सकता है. स्मोकिंग से नाखूनों का रंग खराब हो सकता है. नाखून पीले या भूरे होने लगते हैं.

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जानलेवा कैंसर

जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें कैंसर का खतरा भी काफी ज्यादा होता है. खासकर होठों, स्किन और फेफड़े पर सबसे बुरा असर होता है. सिगरेट पीने से कई तरह के कैंसर भी होते हैं. सिगरेट पीने से 20-30 फीसदी पैनक्रिएटिक कैंसर होता है. धूम्रपान करने वाले में ब्लैडर कैंसर होने की आशंका उन लोगों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है जो स्मोकिंग नहीं करते हैं.

सिगरेट पीने से व्यक्ति में पेट के कैंसर का खतरा भी दोगुना हो सकता है. पेट के ऊपरी हिस्से के पास कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है. इसे इसोफेजियल कैंसर के नाम से जाना जाता है.

सिगरेट पीने से मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, किडनी का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, लिवर कैंसर के अलावा भी कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

डाइजेशन से जुड़ी बीमारी

 किसी भी शख्स में आंत से जुड़ी बीमारी होने और बढ़ने के लिए सिगरेट पीना एक सबसे बड़ा कारण है. धूम्रपान न करने वालों की तुलना में स्मोकिंग करने वालों में गैस्ट्राइटिस, पेट में सूजन, पेट या आंतों में अल्सर वगैरह हो सकता है. स्मोकिंग से कब्ज की दिक्कत भी काफी बढ़ जाती है.

सेंट्रल नर्वस सिस्टम की बीमारी

बॉडी के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी होती है. सभी शारीरिक और मानसिक गतिविधियों को कंट्रोल करने वाली नर्वस सिस्टम पर स्मोकिंग का बहुत बुरा असर होता है. स्मोकर्स का सेंट्रल नर्वस सिस्टम खराब हो सकता है. क्योंकि निकोटिन ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में अचानक बदलाव कर देता है. जिससे नर्वस सिस्टम समय के साथ कमजोर होने लगते हैं.

Colon Cancer: Symptoms, Stages & Treatment | आंत का कैंसर: लक्षण, कारण और उपचार | Dr Vivek Mangla

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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