मेनोपॉज के रहस्य और मिथ्स, पीरियड्स आना किस उम्र में बंद होते हैं? भारत में जल्दी क्यों आ जाता है मेनोपॉज? जानिए

Periods Ana Kab Band Hota Hai: शोध और मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय महिलाओं में मेनोपॉज की औसत उम्र लगभग 46.2 साल है, जबकि विकसित देशों में यह औसतन 51 साल के आसपास होती है. यानी भारतीय महिलाएं लगभग 5 साल पहले इस लाइफ स्टेज में प्रवेश करती हैं.

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Menopause: 45 से 50 की उम्र में मेनोपॉज आने लगता है.

When Do Periods Stop: मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हमारे समाज में असहजता छा जाती है. महिलाओं के जीवन का यह प्राकृतिक चरण अक्सर चुप्पी, शर्म और गलत धारणाओं के पर्दे में छिपा दिया जाता है. जबकि सच्चाई यह है कि मेनोपॉज न केवल हर महिला के जीवन का जरूरी हिस्सा है, बल्कि इसके बारे में सही जानकारी और जागरूकता से महिलाएं अपने स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से समझ और संभाल सकती हैं. आज भी भारतीय समाज में मेनोपॉज को लेकर कई मिथ्स फैले हुए हैं.

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क्या है मेनोपॉज? (What Is Menopause)

मेनोपॉज वह अवस्था होती है जब महिलाओं का मासिक चक्र (पीरियड्स) स्थायी रूप से बंद हो जाता है और उनकी प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है. यह आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है, लेकिन यह उम्र व्यक्ति-विशेष पर निर्भर करती है. मेनोपॉज से पहले पेरिमेनोपॉज का चरण आता है, जब हार्मोनल असंतुलन शुरू होता है और कई लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

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भारतीय महिलाओं में मेनोपॉज औसतन 40 के दशक में शुरू होती है, जो विकसित देशों की तुलना में जल्दी है.

शोध और मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय महिलाओं में मेनोपॉज की औसत उम्र लगभग 46.2 साल है, जबकि विकसित देशों में यह औसतन 51 साल के आसपास होती है. यानी भारतीय महिलाएं लगभग 5 साल पहले इस लाइफ स्टेज में प्रवेश करती हैं.

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इसके पीछे के प्रमुख कारण:

पोषण की कमी: आयरन, कैल्शियम और विटामिन D की कमी
तनाव और अनियमित जीवनशैली: नींद की कमी, काम का दबाव, एक्सरसाइज़ की कमी
प्रदूषण और केमिकल्स: प्लास्टिक, कीटनाशक और कॉस्मेटिक्स में मौजूद हार्मोन-डिसरप्टिंग तत्व.
धूम्रपान और शराब का सेवन: अंडाशय की कार्यक्षमता पर असर डालते हैं.

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क्या मेनोपॉज के बाद भी बन सकती हैं मां?

कई महिलाओं के मन में सवाल आता है कि यह मैं मेनोपॉज के बाद भी मां बन सकती हूं? डॉक्टर नुपुर गुप्ता के अनुसार "अगर आप प्री मेनोपॉज से पहले एग फ्रीजिंग करवा लें, तो आप मेनोपॉज के बाद भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं.यानि अगर आपको 40 की उम्र में मेनोपॉज हो रहा है और अगर आपने 35 की उम्र में एग फ्रीजिंग करवाई है तो 80 प्रतिशत चांस हैं कि आप दोबोरा मां बन सकती हैं."

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मेनोपॉज से जुड़े आम मिथ्स (Common Myths Related To Menopause)

1. "अब तो महिला की उम्र हो गई है"

यह धारणा बेहद गलत और महिला-विरोधी है. मेनोपॉज का मतलब यह नहीं है कि महिला का जीवन थम गया है. कई महिलाएं इस उम्र में नए करियर, शौक या आत्म-विकास की यात्रा शुरू करती हैं.

2. "मेनोपॉज सिर्फ पीरियड्स का बंद होना है"

मासिक धर्म का रुकना केवल एक हिस्सा है. इसके साथ हॉट फ्लैशेस, मूड स्विंग्स, अनिद्रा, हड्डियों की कमजोरी और कई मानसिक व शारीरिक बदलाव होते हैं.

3. "इसके बारे में बात करना शर्म की बात है"

कई महिलाएं इन बदलावों के बारे में परिवार या डॉक्टर से बात करने में झिझकती हैं. यह चुप्पी ही सबसे बड़ी समस्या है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है.

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मेनोपॉज के लक्षण (Symptoms of Menopause)

  • हॉट फ्लैशेस (अचानक शरीर का गर्म हो जाना)
  • रात को पसीना आना
  • मूड में अचानक बदलाव
  • थकान और नींद न आना
  • वजन बढ़ना
  • यौन इच्छा में कमी
  • योनि में सूखापन
  • एकाग्रता की कमी

समाज में चुप्पी क्यों?

हमारा पितृसत्तात्मक समाज महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर सदियों से चुप्पी साधे हुए है. पीरियड्स, गर्भधारण और मेनोपॉज जैसे विषयों को निजी या 'गंदा' मानकर किनारे कर दिया गया है. इससे न केवल जानकारी की कमी होती है बल्कि महिलाओं को अकेले इन बदलावों से जूझना पड़ता है.

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बदलाव की जरूरत क्यों है?

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए: सही जानकारी और समय पर इलाज से कई लक्षणों को कम किया जा सकता है.
सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए: मेनोपॉज को जीवन के एक नए अध्याय के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि अंत के रूप में.
महिलाओं के आत्म-सम्मान के लिए: चुप्पी नहीं, संवाद और समझ जरूरी है.

समाधान: बात करें, समझें और साथ दें

महिलाएं खुलकर बात करें: अपने अनुभवों को साझा करें, चाहे वह परिवार के साथ हो या दोस्तों के साथ.
डॉक्टर से सलाह लें: किसी भी असहजता या लक्षण को नजरअंदाज न करें.
पुरुषों को भी समझने की जरूरत: यह सिर्फ महिलाओं का विषय नहीं है. पतियों, बेटों और भाइयों को भी इस बदलाव को समझना चाहिए.
मीडिया और शिक्षा का रोल: टीवी, किताबें, सोशल मीडिया-सबको मिलकर इस चुप्पी को तोड़ने का काम करना चाहिए.

मेनोपॉज को रहस्य और मिथकों के पीछे छुपाना अब ठीक नहीं। यह समय है खुलकर बात करने का, महिलाओं को सपोर्ट करने का और उन्हें यह भरोसा दिलाने का कि यह एक सामान्य, प्राकृतिक प्रक्रिया है — कोई बीमारी या शर्म की बात नहीं। जब हम इस विषय पर बातचीत को सामान्य बनाएंगे, तभी महिलाएं अपने जीवन के इस नए चरण को सम्मान और आत्मविश्वास के साथ स्वीकार सकेंगी.

Watch Video: लड़कियों में पीरियड्स से लेकर मेनोपोज तक, डॉक्‍टर ने दिया हर सवाल का जवाब...

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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