केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू, श्रद्धालुओं के लिए जारी हुई मेडिकल एडवाइजरी

Char Dham Yatra:  हर साल उत्साह से भरे लाखों भक्त उबड़ खाबड़ और पथरीले पगडंडियों से ट्रैकिंग करते हुए समुद्र तल से काफी ऊंचे बने इन दिव्य मंदिरों तक पहुंचते हैं.

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Medical advisory for Char Dham Yatra: उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट के अक्षय तृतीया पर खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हो गई है. दो दिनों बाद ही बद्रीनाथ मंदिर के पट खुलने वाले हैं और फिर गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के द्वार खुलेंगे. हिमालय रेंज के काफी ऊंचे पहाड़ों पर स्थित इन चारों पवित्र तीर्थ स्थानों पर जाने के लिए देश और दुनिया भर के श्रद्धालु लंबे समय से इंतजार करते हैं. हर साल उत्साह से भरे लाखों भक्त उबड़ खाबड़ और पथरीले पगडंडियों से ट्रैकिंग करते हुए समुद्र तल से काफी ऊंचे बने इन दिव्य मंदिरों तक पहुंचते हैं.

अपने- अपने घरों से भगवान का दर्शन करने के लिए निकले भक्तों में युवाओं के अलावा बच्चों और बुजुर्ग की भी काफी संख्या होती हैं. कई बार इनमें से कुछ तीर्थयात्रियों को सेहत से जुड़ी कुछ समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. बदलते मौसम और ऑक्सीजन लेवल के बीच कई किलोमीटर तक पैदल चढ़ाई करने के दौरान होने वाली दिक्कतों को लेकर ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, ऋषिकेश की ओर से एक मेडिकल एडवाइजरी जारी की है.

चार धाम यात्रा के श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल एडवाइजरी (Medical advisory for Char Dham Yatra devotees)

चार धाम यात्रा उत्तराखंड के तीर्थ यात्रियों के लिए एम्स, ऋषिकेश की मेडिकल एडवाइजरी में बताया गया है कि समुद्र तल से यमुनोत्री 3235 मीटर, गंगोत्री 3415 मीटर, केदारनाथ  3580 मीटर और बद्रीनाथ 3415 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. इसलिए इन पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा पर तीर्थयात्रियों को नीचे लिखे अहम सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है.

1. अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर मुश्किल कसरत करने से बचें. अगर आप अधिक समय के लिए यहां रह रहे हैं तो पहले 48 घंटों के लिए कसरत को बेहद कम रखा जाना चाहिए.

2. रोजाना कम से कम 2 लीटर तरल पदार्थ पिएं. गर्म मीठे तरल पदार्थ बेहतर हैं. इस बारे मेें जब हमने डॉक्टर विकास ठाकरान से बात की तो उन्होंने बताया कि पानी की मात्रा अपने डॉक्टर से पूछकर तय करें. दिल के मरीजोंं के लिए यह अलग-अलग हो सकती है.     

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3. आपको सिरदर्द/मतली/चक्कर आ सकता है, जो पहाड़ी बीमारी के तीव्र लक्षण हैं. ये आम तौर पर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं. फिर भी आप सावधानी के लिए पेरासिटामोल या मतली रोधी दवा ले सकते हैं. अगर लक्षण बिगड़ता दिखे तो फौरन हेल्थ सेंटर से संपर्क करना चाहिए.

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4. अगर आपको अत्यधिक थकान, सांस फूलना और खांसी आदि के लक्षण दिखे तो किसी भी न्यूरोलॉजिकल लक्षण के बारे में हेल्थ सेंटर को सूचित करें.

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5. आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अस्थमा जैसी किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं तो कृपया अपने साथ सभी जरूरी दवाओं/इनहेलर/सीरिंज आदि की पर्याप्त इंतजाम रखें. डायबिटीज रोगी हैं और पोर्टेबल हैं तो कृपया ग्लूकोमीटर अपने साथ रखें.  हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं तो अपनी स्थिति पर नज़र रखने के लिए स्फिग्मोमैनोमीटर जरूर पास रखें.

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6. यात्रा को दौरान आपकी आंखों, नाक और मुंह में ज्यादा सूखापन हो सकता है. ऐसी हालत में आई ड्रॉप / सेलाइन नेज़ल ड्रॉप इस्तेमाल करें.

7. बाहर निकलने पर स्किन के खुले हिस्सों की सुरक्षा के लिए कृपया एसपीएफ़ 50 वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

8. बर्फ वाले इलाके में विशेष रूप से यूवी सुरक्षा/ध्रुवीकृत लेंस वाले धूप का चश्मा पहनें.

9. अगर ऊंचाई पर होने वाली बीमारी का कोई मेडिकल हिस्ट्री है तो कृपया समय से अपनी दवाई लेते रहें. जैसे टैब डायमॉक्स 125 मिलीग्राम, बीडी या टैब डेक्सा 4एमजी बीडी (एएमएस के लिए) या टैब निफिडिपिन60एमजी विभाजित खुराकों में (एचएपीई के लिए).

10. अगर दवाइयों के बावजूद बीमारी के लक्षण बढ़ रहे हों और कोई दवा/डॉक्टर उपल

(यह लेख  विकास ठाकरान, मैक्स, बीएलके दिल्ली में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट, से बातचीत पर आधारित है.)

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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