आज के समय में लोग वजन कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं. कोई डाइटिंग करता है तो कोई अपने खाने की मात्रा और समय में बदलाव करता है. वजन कम करने के लिए कई ऐसे उपाय हैं जो आज के समय में लोगों के बीच खासा पसंद किए जा रहे हैं. उन्हीं में से एक है कीटो डाइट जिसे केटोजेनिक के नाम से भी जाना जाता है. इस डाइट में कम कार्बोहाइड्रेट और कम फैट वाली चीजों का सेवन किया जाता है साथ ही आहार में ऐसी चीजें शामिल की जाती हैं जो आपके शरीर को ऊर्जा दे सकें. एक संतुलित वजन आपको कई बीमारियों का शिकार होने से भी बचा सकता है.
कम कार्ब और हाई हैट वसा वाले केटोजेनिक फूड के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. वास्तव में, कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इस प्रकार का आहार वजन घटाने और स्वास्थ्य सुधार में सहायता कर सकता है. माना जाता है कि डायबिटीज, कैंसर, मिर्गी, और अल्जाइमर जैसे रोगों की रोकथाम में भी केटोजेनिक डाइट लाभदायी साबित हो सकती है.
हालांकि हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया कि कीटोडाइट फॉलो करने से आप दिल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि कीटो डाइट का हमारे हृदय स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक वैज्ञानिक सत्र में दिए गए शोध परिणामों के अनुसार, एक केटोजेनिक डाइट शरीर में एलडीएल (लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन) के स्तर को बढ़ा सकती है, जिसे आमतौर पर "खराब" कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है, जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है.
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कीटो डाइट कैसे काम करती है? (How does the keto diet work?)
कीटो डाइट में 75% फैट, 20% प्रोटीन और 5% कार्ब्स शामिल होता है. जिसमें लीन मीट और पनीर जैसे खाद्य पदार्थ शामिल किए जा सकते हैं, लेकिन सोडा, ग्रेंस और ब्रेड का सेवन नहीं किया जाता. सामान्य परिस्थितियों में, शरीर कार्ब्स का उपयोग करता है, जो ग्लूकोज में टूट जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन में इसकी कोशिकाओं के लिए ऊर्जा के स्रोत के रूप में काम आते हैं. लेकिन, जब शरीर उस स्रोत से वंचित हो जाता है, तो उसे वसा की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिसे "किटोसिस" कहा जाता है.
कीटोसिस में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए शरीर वसा के अणुओं को कीटोन बॉडी के रूप में जाना जाता है. कुछ मायनों में यह एक कैटाबोलिक प्रक्रिया है. यदि आप कैलोरी का सेवन नहीं करते हैं तो यह आपके फैट और मांसपेशियों को तोड़ देता है.
समस्या यह है कि किटोसिस ईंधन और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए शरीर की बैकअप रणनीति के रूप में काम कर सकता है. कई लाभकारी प्रभावों पर ध्यान दिया गया है, हालांकि वैज्ञानिक लंबे समय तक कीटो डाइट के सेवन से होने वाले प्रभावों के बारे में पूरी तरह से सुनिश्चित नही हैं. जैसा कि केटो और दूसरे लो-कार्ब डाइट मुख्य रूप से आपके पेट को भरा हुआ महसूस कराने के लिए वसा पर निर्भर करते हैं. कीटो डाइट में कम से कम 70% फैट होना चाहिए, वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह 90% के करीब होना चाहिए.
कीटो हृदय स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? (How does keto affect heart health?)
औसतन लगभग 12 सालों के फॉलो-अप के बाद, कीटो डाइट के समान डाइट लेने वाले लोगों में कई गंभीर दिल संबंधी घटनाओं का अनुभव करने की संभावना दोगुनी से अधिक थी जिसमें पेरिफेरल पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज से लेकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक भी शामिल हैं.
कीटो डाइट में एनिमल प्रोडक्ट्स और सैचुरेटेड फैट शामिल होता है और यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ सूजन और तनाव को भी बढ़ा सकता है. ये विशेषताएं माइक्रोबायोम को प्रभावित कर सकती हैं इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ कर शरीर में सूजन और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकती हैं.
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हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि ये अध्ययन उन लोगों पर किए जा सकते हैं जिनको किटोजेनिक डाइट लेने से पहले ही दिल से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आने का खतरा ज्यादा था. दूसरे शब्दों में कहां जाए तो यह भी संभव है कि वो लोग जिन्होंने LCHF (लो कार्ब, हाई फैट) डाइट को लेना शुरू किया था उनमें दिल की बीमारियां होने का खतरा इस डाइट को फॉलो करने के पहले से ही था. इसे ठीक से समझने के लिए और रिसर्च और स्टडी की आवश्यक्ता है.
आखिर में केटोजेनिक डाउट के इन मिक्सड परिणामों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. यदि आप वजन घटाने के लिए कीटो डाइट का पालन करना चाहते हैं तो संतुलित आहार का पालन करें. इसके साथ ही किसी स्वास्थय विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही इसकी शुरूआत करें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.