Easy Ways to Teach Kids Patience: टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति (KBC) का जूनियर संस्करण बच्चों के ज्ञान और आत्मविश्वास को मंच देने के लिए जाना जाता है. लेकिन, हाल ही में एक एपिसोड में जो हुआ, उसने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सिर्फ ज्ञान ही काफी है, या संस्कार और धैर्य भी उतने ही जरूरी हैं. टीवी शो जूनियर कौन बनेगा करोड़पति का एक हालिया एपिसोड सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया. प्रतियोगी इशित भट्ट ने मंच पर जिस तरह का व्यवहार किया उसने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आज के बच्चों को सिर्फ ज्ञान ही नहीं, बल्कि धैर्य और शिष्टाचार भी सिखाना कितना जरूरी है. इसमें बच्चे की गलती नहीं बल्कि पेरेंट्स को इस पर काम करने की जरूरत है.
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गुजरात के गांधीनगर से आए कक्षा 5 के छात्र इशित भट्ट ने KBC जूनियर के मंच पर कदम रखा तो उनके आत्मविश्वास ने सबका ध्यान खींचा. शुरुआत में उनका जोश और ऊर्जा दर्शकों को पसंद आई, लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा, उनका व्यवहार असहज लगने लगा.
क्या हुआ था उस एपिसोड में?
इशित भट्ट एक होनहार छात्र, आत्मविश्वास से भरा हुआ था. उन्होंने शो की शुरुआत में ही कहा कि उन्हें नियमों की कोई मदद नहीं चाहिए. इशित ने अमिताभ बच्चन को बीच में टोकते हुए कहा, "रूल्स-वूल्स मत समझाइए, मुझे सब पता है." उन्होंने कई बार प्रश्नों के बीच में ही होस्ट की बात काट दी, जिससे माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया.
रामायण प्रश्न पर बिना विकल्प सुने दे दिया उत्तर
25,000 रुपये के सवाल में इशित से रामायण से जुड़ा प्रश्न पूछा गया. लेकिन, उन्होंने बिना विकल्प सुने ही उत्तर दे दिया, जो गलत साबित हुआ. इस गलती के कारण उन्हें गेम से बाहर होना पड़ा और वे खाली हाथ लौटे. यह क्षण दर्शकों के लिए चौंकाने वाला था क्योंकि उन्होंने देखा कि आत्मविश्वास के साथ-साथ धैर्य की भी परीक्षा होती है.
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सोशल मीडिया पर चर्चा और प्रतिक्रियाएं
इस एपिसोड का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. कई लोगों ने अमिताभ बच्चन के धैर्य और संयम की तारीफ की कि उन्होंने बच्चे के व्यवहार को शांति से संभाला. वहीं कुछ ने कहा कि बच्चे की गलती नहीं, बल्कि यह पालन-पोषण की कमी है कि उसे धैर्य और शिष्टाचार नहीं सिखाया गया.
पैरेंटिंग पर उठे सवाल
कई विशेषज्ञों और हस्तियों ने इस घटना को पैरेंटिंग से जोड़कर देखा. उनका मानना है कि बच्चों को सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि संस्कार, धैर्य और दूसरों की बात सुनने की कला भी सिखाई जानी चाहिए. एक यूजर ने लिखा, "बच्चा स्मार्ट है, लेकिन उसे यह समझना होगा कि मंच पर सबकी इज्जत करना ज़रूरी है."
बच्चों को धैर्य कैसे सिखाएं? (How to Teach Patience to Children?)
धैर्य एक ऐसा गुण है जो जीवन के हर मोड़ पर काम आता है, चाहे वह परीक्षा हो, प्रतियोगिता या रिश्ते. यहां कुछ आसान तरीकों से बच्चों को धैर्य सिखाया जा सकता है:
1. स्वयं उदाहरण बनें
बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं. अगर आप खुद शांत रहते हैं, दूसरों की बात ध्यान से सुनते हैं, तो बच्चा भी वही सीखेगा.
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2. इंतजार करना सिखाएं
बच्चों को सिखाएं कि हर चीज तुरंत नहीं मिलती. जैसे खाने से पहले 5 मिनट इंतजार करना या खिलौना लेने से पहले अनुमति लेना जरूरी है वैसे ही दूसरों की बात सुनना भी जरूरी है.
3. कहानियों के जरिए सिखाएं
पंचतंत्र, रामायण या महाभारत की कहानियों में धैर्य के कई उदाहरण हैं. इनसे बच्चे को नैतिक शिक्षा मिलती है और वे व्यवहारिक रूप से सीखते हैं.
4. खेलों में धैर्य का अभ्यास
बोर्ड गेम्स जैसे लूडो, कैरम या शतरंज में बारी का इंतजार करना सिखाएं. इससे बच्चा समझता है कि हर चीज का समय होता है और थोड़ा इंतजार बहुत कुछ दे सकता है.
5. गलतियों पर सजा नहीं, समझाएं
अगर बच्चा अधीरता दिखाए, तो उसे डांटने के बजाय प्यार से समझाएं कि ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए. सकारात्मक संवाद से बच्चा जल्दी सीखता है.
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क्या सीख मिलती है इस घटना से?
- ज्ञान के साथ-साथ व्यवहार भी मायने रखता है.
- बड़ों की बात सुनना और समझना एक कला है.
- टीवी पर आने का मतलब यह नहीं कि आप सब कुछ जानते हैं.
- पैरेंट्स की भूमिका बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में बहुत अहम है.
इशित भट्ट की यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे मंच पर आत्मविश्वास और व्यवहार दोनों का संतुलन जरूरी है. अमिताभ बच्चन ने जिस संयम से स्थिति को संभाला, वह सराहनीय है. यह एपिसोड सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देता है, ज्ञान के साथ संस्कार भी जरूरी हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)