Walking Rule of Weight Loss: आजकल फिटनेस के लिए जिम जाना एक लोकप्रिय तरीका बन चुका है, लेकिन हर किसी के लिए जिम जाना हमेशा पॉसिबल नहीं होता और कभी-कभी रिजल्ट भी उम्मीद के मुताबिक नहीं मिलते. ऐसे में, मॉर्निंग वॉक एक बेहतरीन ऑप्शन है. पैदल चलने से वजन घटाने में भी मदद मिलती है, क्योंकि यह कैलोरी बर्न करने में मदद करती है. लेकिन, क्या हो अगर इस मॉर्निंग वॉक को और भी असरदार बनाया जाए? 6-6-6 का वॉकिंग रूल, ये वो नियम है जिससे न सिर्फ वजन घटाने में मदद मिल सकती है, बल्कि इससे आपकी फिजिकल हेल्थ भी बेहतर रहती है. इस बारे में जानकारी दी जाने माने कार्डियोवैस्कुलर और कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉक्टर नरेश त्रेहान ने. चलिए जानते हैं...
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6,6,6 वॉकिंग रूल क्या है?
6-6-6 वॉकिंग रूल वजन कम करने का सबसे सरल और असरदार तरीका है. जिससे न सिर्फ आप फिट रहते हैं बल्कि इसे अपनी डेली लाइफ में शामिल करना भी बेहद आसान है. इस रूल के तहत आपको अपनी वॉकिंग हैबिट में 6 अंक जोड़ने होते हैं. सबसे पहले, आपको सुबह 6 बजे और शाम 6 बजे 60 मिनट तक वॉक करना होता है. यह समय तय करने से आपको दिनभर के बिजी शेड्यूल में वॉकिंग का समय मिल जाता है.
इसके अलावा वॉकिंग के इस रूटीन में 6 मिनट का वार्मअप और 6 मिनट का कूलडाउन भी जरूरी है. वार्मअप से आपकी मसल्स तैयार होती हैं और कूलडाउन से शरीर को आराम मिलता है, जिससे इंजरी होने का रिस्क कम हो जाता है. वॉकिंक से आपका मेटाबोलिज़्म बढ़ता है, जो कैलोरी बर्न करने में मदद करता है और वजन घटाने में सहायक है.
इस असरदार रूल को अपनाने से आप न सिर्फ अपने फिटनेस गोल्स को अचीव कर सकते हैं, बल्कि यह आपकी बिजी लाइफस्टाइल में भी आसानी से फिट हो जाता है. यह तरीका न केवल वजन घटाने में मदद करता है, बल्कि आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ को भी दुरुस्त रखता है.
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वेट लॉस में मिलती है मदद?
6-6-6 वॉकिंग रूल को फॉलो करने से पेट में जमा एक्स्ट्रा फैट को आसानी से बर्न किया जा सकता है. यह तरीका शरीर के मेटाबोलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरी बर्न होती है और एक्स्ट्रा फैट कम होता है. खासकर पेट की चर्बी को टारगेट करके इसे बर्न किया जा सकता है. जो वजन घटाने के लिए एक बड़ी चुनौती होती है.
इसके अलावा, ये रूल हेल्दी वेट मैनेजमेंट में भी मददगार सिद्ध होता है. रेगुलर वॉकिंग से शरीर में कैलोरी की स्टोरेज कम होती है और बढ़ते वजन को कंट्रोल किया जा सकता है. दो बार वॉक पर जाने से शरीर में फैट कम होता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं. वॉकिंग से शरीर की एनर्जी का सही तरीके से इस्तेमाल होता है, जिसके कारण मोटापे का खतरा घट जाता है. इस रूटीन को अपनाकर आप न केवल एक्सट्रा चर्बी को बर्न कर सकते हैं, बल्कि शरीर में बढ़ते मोटापे से भी राहत पा सकते हैं.
बॉडी फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने में मददगार
दिनभर बैठकर काम करने वाले लोगों में अक्सर मसल्स में क्रैम्प्स, दर्द और थकान की समस्या रहती है. लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठे रहने से शरीर में अकड़न और आलस बढ़ जाता है. डेली वॉकिंग से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है. पैदल चलने से शरीर के मसल्स एक्टिव होते हैं. जिससे क्रैम्प्स और जकड़न दूर होती है. वॉकिंग से ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है, जिससे शरीर में एनर्जी बनी रहती है और थकान को कम किया जा सकता है. रेगुलर वॉक करने से न केवल शरीर के दर्द में राहत मिलती है, बल्कि मेंटल फ्रेसनेस भी बनी रहती है.
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डेली वॉक से दिल के रोगों का खतरा हो सकता है कम
डेली वॉकिंग से दिल के रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है. रेगुलर पैदल चलने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और दिल की धड़कन सामान्य रहती है, जिससे हार्ट हेल्थ में सुधार होता है. वॉकिंग से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है, कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है और ब्लड शुगर भी बैलेंस रहता है जो दिल के रोगों के मुख्य कारण हैं. इसके अलावा, वॉकिंग से शरीर का वजन कंट्रोल रहता है, जिससे मोटापे और दिल से संबंधित अन्य समस्याओं का रिस्क कम हो जाता है. रेगुलर वॉकिंग से टेंशन कम होती है, जो दिल के लिए बहुत फायदेमंद है.
डायबिटीज को कंट्रोल करती है रेगुलर वॉक
डेली वॉकिंग से शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे डायबिटीज़ के खतरे को कम किया जा सकता है. जब आप रेगुलर वॉक करते हैं, तो शरीर के टिश्यू ग्लूकोज का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाते हैं. इससे शरीर को इंसुलिन की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि मसल्स और अन्य टिश्यू ज्यादा अच्छे तरीके से ग्लूकोज का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रक्रिया से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है, जिससे डायबिटीज़ के मरीजों को बेहतर मैनेजमेंट में मदद मिलती है. इसलिए, रोजाना वॉकिंग एक नेचुरल और इफेक्टिव उपाय है, जो डायबिटीज़ को कंट्रोल करने में सहायक हो सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)