जीवनभर रहना है स्वस्थ्य तो अपनी लाइफ में जोड़ लें आर्युवेद की बताई ये बातें

भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें रोगों से बचाव और दीर्घकाल तक स्वस्थ जीवन जीने की दिशा भी दिखाती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें रोगों से बचाव और दीर्घकाल तक स्वस्थ जीवन जीने की दिशा भी दिखाती है. आयुर्वेद में बताई जीवनशैली को आजकल लोग हेल्दी लाइफस्टाइल कहते हैं. आयुर्वेद में जिस जीवनशैली और अनुशासन का उल्लेख है, उसे स्वस्थवृत्त कहा जाता है. यह ऐसी जीवनचर्या है जिसके पालन से शरीर, मन और आत्मा संतुलित रहते हैं और रोगों की संभावना कम हो जाती है. प्राचीन काल से आज तक आयुर्वेद के ये नियम उतने ही प्रभावी और प्रासंगिक हैं जितने हजारों वर्ष पहले थे.

स्वस्थवृत्त का पहला नियम है ब्रह्ममुहूर्ते जागरण यानी सूर्योदय से पहले उठना, जिससे शरीर को ऊर्जा और मन को शांति मिलती है. सुबह उठकर शौच करना, दंतधावन (नीम या हर्बल पेस्ट से दांतों की सफाई) और जिव्हा-निर्लेखन (जीभ की सफाई) से शरीर में जमी अशुद्धियां निकल जाती हैं. आंखों की सुरक्षा के लिए अंजन और त्रिफला जल का इस्तेमाल और नस्य कर्म (नाक में औषधीय तेल डालना) श्वसन और नेत्र स्वास्थ्य के लिए उत्तम माने गए हैं. इसी तरह गंध, धूप और हर्बल धूम्र का प्रयोग वातावरण और मन दोनों को शुद्ध करता है.

ये भी पढ़ें: एड़ियों में रहता है भयंकर दर्द तो अब इस दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा, जान लीजिए इस स्वदेशी फोर्स प्लेट की कीमत

अभ्यंग यानी प्रतिदिन तेल मालिश शरीर को मजबूत, त्वचा को कोमल और हड्डियों को सशक्त बनाती है. इसके बाद हल्का व्यायाम, योग और प्राणायाम शरीर में स्फूर्ति लाते हैं. गुनगुने पानी से स्नान करना शारीरिक और मानसिक ताजगी प्रदान करता है. आहार के संदर्भ में आयुर्वेद कहता है कि भोजन हमेशा समय पर संतुलित और ताजा होना चाहिए. ऋतुचर्या यानी मौसम के अनुसार आहार-विहार में बदलाव करना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक है. आयुर्वेद का एक प्रमुख नियम है मितभोजन अर्थात भूख से थोड़ा कम खाना.

आयुर्वेद में जल सेवन के भी नियम बताए गए हैं. भोजन से पहले थोड़ा जल, बीच में कम और भोजन के बाद पानी नहीं पीना चाहिए. इसके अलावा पर्याप्त और समय पर प्राकृतिक नींद लेना शरीर को पुनः ऊर्जावान बनाता है. आयुर्वेद संयमित जीवन जीने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की भी सलाह देता है. मानसिक स्वास्थ्य के लिए सत्संग, सकारात्मक विचार, क्रोध व तनाव से दूरी तथा ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास अनिवार्य बताया गया है. इन नियमों का पालन करने से न केवल पाचन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि मन शांत और स्थिर रहता है. आधुनिक युग में इसे ही हेल्दी लाइफस्टाइल कहा जाता है.

Gurudev Sri Sri Ravi Shankar on NDTV: Stress, Anxiety, से लेकर Relationship, Spirituality तक हर बात

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
'I Love Muhammad' मुहिम पर गोधरा में हिंसा ? | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon | CM Yogi