How To Protect Ears From Cold: सर्दियों के आते ही अलमारी से मोटी जैकेट, स्वेटर, मफलर और गर्म कपड़े बाहर निकल आते हैं. लोग पूरे शरीर को तो ढक लेते हैं, लेकिन सिर और खासकर कानों को खुला छोड़ देना आम बात है. खासतौर पर युवा वर्ग में टोपी या ईयर कवर पहनने को लेकर एक झिझक रहती है. उन्हें लगता है कि इससे उनका लुक या फैशन खराब हो जाएगा. लेकिन, यही छोटी-सी लापरवाही धीरे-धीरे सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. मेडिकल साइंस और आयुर्वेद दोनों ही इस बात पर जोर देते हैं कि सर्दियों में कानों को ढकना उतना ही जरूरी है जितना शरीर के बाकी हिस्सों को.
दरअसल, कान हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा होते हैं. इन पर न तो मोटी त्वचा होती है और न ही फैट की परत, जो ठंडी हवा से बचाव कर सके. कान की त्वचा के नीचे तंत्रिकाओं (नर्व्स) का जाल बिछा होता है. जब तेज ठंडी हवा सीधे कानों से टकराती है, तो उसका असर सिर्फ कानों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे शरीर के तापमान संतुलन को बिगाड़ देता है.
कानों से ठंड लगने पर शरीर पर क्या असर होता है? | What Effect Does Getting Cold Ears Have On the Body?
1. शरीर का तापमान बिगड़ता है
कानों पर पड़ने वाली ठंडी हवा शरीर के थर्मो-रेगुलेशन सिस्टम को प्रभावित करती है. इससे शरीर को अपने तापमान को कंट्रोल करने में मुश्किल होती है, नतीजतन सर्दी-जुकाम, कंपकंपी और थकान जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
2. दिमाग पर पड़ता है सीधा असर
कानों का सीधा कनेक्शन ब्रेन से होता है. जब कानों पर ठंडी हवा लगती है, तो दिमाग की नसें उत्तेजित हो जाती हैं. इसका परिणाम सिरदर्द, भारीपन और माइग्रेन जैसी परेशानियों के रूप में सामने आ सकता है. गंभीर स्थिति में चक्कर आना या बेहोशी तक हो सकती है.
3. चेहरे की नसों पर खतरा
कान के पीछे फेशियल नर्व होती है, जो चेहरे में ब्लड सर्कुलेशन और मसल्स एक्टिविटी को कंट्रोल करती है. अगर इस हिस्से पर तेज सर्द हवा बार-बार पड़ती रहे, तो नर्व में सूजन आ सकती है. इससे चेहरे का अस्थायी लकवा (Bell's Palsy) भी हो सकता है, जिसमें चेहरा या जबड़ा टेढ़ा पड़ सकता है या हिलने में दिक्कत आती है.
4. पेट और पाचन पर असर (आयुर्वेद के अनुसार)
आयुर्वेद मानता है कि कानों का संबंध वात दोष से होता है. सर्द हवा लगने से वात दोष बिगड़ सकता है, जिसका असर पाचन तंत्र पर पड़ता है. इससे पेट में गैस, मरोड़, अपच और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
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5. बीपी मरीजों के लिए ज्यादा जोखिम
हाई या लो ब्लड प्रेशर से ग्रस्त लोगों के लिए कानों को खुला रखना और भी खतरनाक हो सकता है. ठंड से नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड वेसल्स पर दबाव बढ़ता है. इसका असर बीपी के अचानक बढ़ने या गिरने के रूप में दिख सकता है.
सर्दियों में कानों की सुरक्षा कैसे करें?
- बाहर निकलते समय टोपी, मफलर या ईयर मफ जरूर पहनें.
- ठंडी हवा से बचने के लिए बाइक चलाते समय हेलमेट के अंदर कान ढके रहें.
- रात को सोने से पहले हल्के गुनगुने सरसों या तिल के तेल से कानों के पीछे हल्की मालिश करें. यह नर्वस सिस्टम को शांत रखने में मदद करता है.
- बहुत ठंडी हवा या एसी के सीधे संपर्क से बचें.
सर्दियों में सिर्फ स्टाइल के चक्कर में कानों को खुला छोड़ना सेहत के साथ खिलवाड़ है. थोड़ी-सी सावधानी आपको सिरदर्द, लकवे, पाचन समस्या और बीपी जैसी गंभीर परेशानियों से बचा सकती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














