घबराहट क्यों होती है? जानिए एंग्जायटी के लक्षण, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे नजरअंदाज!

थोड़ा-बहुत डर या चिंता महसूस करना नॉर्मल है. ये हमें नई सिचुएशन में अलर्ट रहने में मदद करता है. लेकिन, जब ये डर बिना किसी असली खतरे के बार-बार और बहुत ज्यादा महसूस हो, तब ये एंग्जायटी बन जाती है.

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एंग्जायटी सिर्फ एक एहसास नहीं है, इसके कई लक्षण होते हैं जो शरीर, दिमाग और व्यवहार पर दिखते हैं.

Mental health : आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में घबराहट होना आम बात है. कभी इंटरव्यू से पहले, कभी एग्जाम के दिन, तो कभी भीड़ में कुछ बोलने से पहले... ऐसा सबके साथ होता है. लेकिन, क्या हो अगर यही घबराहट आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर भारी पड़ने लगे? जब डर और बेचैनी बेवजह और लगातार बनी रहे, तो ये सिर्फ घबराहट नहीं, बल्कि 'एंग्जायटी' का संकेत हो सकता है.ऐसे में आइए जानते हैं एंग्जायटी के कारण और उपाय..

एंग्जायटी यानी जरूरत से ज्यादा चिंता, जो बिना किसी ठोस वजह के लंबे समय तक बनी रहती है. ये हमारी सोच, व्यवहार और यहां तक कि बॉडी पर भी गहरा असर डालती है. अगर आप या आपके आस-पास कोई इस मुश्किल से गुजर रहा है, तो समझ लीजिए कि अब बात करने का समय आ गया है.

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सामान्य घबराहट और एंग्जायटी में क्या अंतर है

थोड़ा-बहुत डर या चिंता महसूस करना नॉर्मल है. ये हमें नई सिचुएशन में अलर्ट रहने में मदद करता है. लेकिन, जब ये डर बिना किसी असली खतरे के बार-बार और बहुत ज्यादा महसूस हो, तब ये एंग्जायटी बन जाती है.

एंग्जायटी सिर्फ एक एहसास नहीं है, इसके कई लक्षण होते हैं जो शरीर, दिमाग और व्यवहार पर दिखते हैं:

  1. बिना किसी वजह के हमेशा घबराहट महसूस होना.
  2. देर तक नींद न आना या बार-बार नींद खुलना.
  3. ऐसा लगना कि दिल बहुत जोर से धड़क रहा है.
  4. नर्वस होने पर शरीर में कंपन या ठंडा पसीना आना.
  5. किसी भी काम में मन न लगना या नेगेटिव बातें सोचते रहना.
  6. सोशल सिचुएशन से बचना, बातचीत से कतराना.
  7. छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा गुस्सा या उदासी छा जाना.

कब समझें कि ये नॉर्मल नहीं है?

अगर ये लक्षण कुछ दिनों के लिए हैं और किसी खास घटना से जुड़े हैं, तो चिंता न करें. लेकिन, अगर ये लगातार बने हुए हैं और आपके काम, पढ़ाई या रिश्तों पर बुरा असर डाल रहे हैं, तो आपको मदद लेनी चाहिए.

क्या करें?

सबसे पहले, खुद को दोष न दें. ये एक आम समस्या है.
किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें – दोस्त, परिवार या डॉक्टर.
नियमित दिनचर्या बनाएं, अच्छी नींद लें और एक्सरसाइज जरूर करें.
मेडिटेशन और गहरी सांस लेने की टेक्नीक से भी फ़ायदा होता है.
अगर जरूरत लगे, तो किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलें. आजकल कई तरह की थेरेपी और दवाइयां उपलब्ध हैं जो मदद कर सकती हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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