H3N2 virus hits India: एच3एन2 (H3N2) के रूप में जाना जाने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस लोगों को रेस्पिरेटरी प्रोब्लम दे रहा है. यह इन्फ्लुएंजा ए वायरस का एक सबटाइप है जो पहले कई इन्फ्लूएंजा के प्रकोपों का कारण रहा है. देश में जहां लोगों में लंबी बीमारी और खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, वहीं एच3एन2 इन्फ्लुएंजा इंफेक्शन (H3N2 Influenza Infection) के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. रिपोर्टों के अनुसार, मामलों में बढ़ोत्तरी के लिए एच3एन2 इन्फ्लुएंजा (H3N2 Influenza) को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. लोगों में फ्लू के लक्षणों के बढ़ने में मौसम के अत्यधिक ठंड से गर्म होने के परिवर्तन का भी अहम रोल है. भारत में कई लोग पिछले कुछ महीनों से लगातार खांसी और छिटपुट बुखार से पीड़ित है.
पिछले कुछ दिनों से इन्फ्लूएंजा ए के H3N2 सब टाइप, फ्लू के सबसे के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. यहां H3N2 वायरस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्नों के उत्तर बताए गए हैं.
एच3एन2 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | H3N2 Virus: All you need to know about Influenza A virus subtype H3N2
क्या लक्षण हैं?
H3N2 वायरस के लक्षणों में शामिल हैं:
- ठंड लगना
- खांसना
- बुखार
- जी मिचलाना
- उल्टी करना
- गले में दर्द / गले में खराश
- मांसपेशियों और शरीर में दर्द
- दस्त
- छींक आना और नाक बहना
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इन्फ्लुएंजा को कैसे रोका जाए? | How To Prevent Influenza?
आपको एच3एन2 इन्फ्लुएंजा से बचाव के लिए सावधानी बरतनी चाहिए, जिसमें हर साल टीका लगवाना, बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोना, बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचना, छींकने या खांसने के दौरान मुंह और नाक को ढंकना.
एच3एन2 का इलाज कैसे किया जाता है? | How is H3N2 Treated?
आराम करना, बहुत सारा लिक्विड पीना और बुखार कम करने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसे ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक का उपयोग करना H3N2 इन्फ्लूएंजा उपचार का हिस्सा हैं. अगर किसी रोगी में गंभीर लक्षण हैं या समस्याओं का हाई रिस्क है, तो डॉक्टर ओसेल्टामिविर और जनामिविर जैसी एंटीवायरल दवाओं की भी सिफारिश कर सकते हैं.
एच3एन2 कैसे फैलता है? | How Does H3N2 Spread?
संक्रामक H3N2 इन्फ्लुएंजा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा बात करने पर निकलने वाली बूंदों के जरिए फैल सकता है. यह तब भी फैल सकता है जब कोई किसी ऐसी सतह के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह या नाक को छूता है जिस पर वायरस होता है. गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, बुजुर्ग वयस्कों और इंटरनल मेडिकल कंडिशन वाले व्यक्तियों को फ्लू का रिस्क हो सकता है.
क्या करें और क्या न करें? | What To Do And What Not To Do?
क्या करें और क्या न करें इस बात का ध्यान रखना जरूरी है. इससे आप वायरस की चपेट में आने की संभावना को कम कर सकते हैं.
क्या करना चाहिए?
- भीड़ वाली जगहों से बचें और फेस मास्क का प्रयोग करें.
- अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं
- अपने मुंह या नाक को न छुएं.
- छींकने और खांसने पर अपने मुंह और नाक को पर्याप्त रूप से ढक लें.
- बुखार और शरीर में दर्द होने पर पेरासिटामोल का प्रयोग करें
- खूब सारे तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहें.
क्या नहीं करना चाहिए?
- सार्वजनिक स्थानों पर थूकना
- हाथ मिलाना
- सेल्फ ट्रीटमेंट, डॉक्टर से संपर्क करने के बाद ही रोगी को एंटीबायोटिक्स या किसी अन्य दवा का उपयोग करना चाहिए.
- अन्य लोगों के बगल में बैठकर भोजन करना.
अब जब आप संकेतों, लक्षणों और रोकथाम के सुझावों को बेहतर ढंग से समझ गए हैं, तो सुरक्षात्मक उपाय करें और हेल्दी भोजन खाकर और इम्यूनिटी को बढ़ाकर अपने शरीर की अच्छी देखभाल करें.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.