बाजरा सिर्फ सर्दियों का खाना नहीं, न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया पूरे साल खाने का कारण, सुस्ती, शुगर और कमजोरी का है

Millet Benefits: न्यूट्रिशनिस्ट दीपशिखा जैन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि सर्दियों में बाजरे की रोटी क्यों जरूरी है और क्यों इसे सिर्फ ठंड तक सीमित नहीं करना चाहिए. उन्होंने इसके पीछे तीन अहम कारण बताए.

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Millet Benefits: बाजरे की रोटी को सीजनल फूड समझना इसकी सेहतमंद खूबियों को कम आंकना है.

Millet Health Benefits: उत्तर भारत में जैसे ही ठंड बढ़ती है, घर-घर में बाजरे की रोटी बनने लगती है. सरसों का साग और बाजरे की रोटी सर्दियों की पहचान माने जाते हैं. आमतौर पर लोगों की सोच यही होती है कि बाजरा सिर्फ ठंड के मौसम के लिए ही ठीक है, क्योंकि यह शरीर को गर्म रखता है. लेकिन, क्या वाकई बाजरा सिर्फ सर्दियों तक ही सीमित होना चाहिए? न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स की मानें, तो बाजरे की रोटी को सीजनल फूड समझना इसकी सेहतमंद खूबियों को कम आंकना है.

बाजरा, जिसे अंग्रेजी में पर्ल मिलेट कहा जाता है, सदियों से भारत की पारंपरिक डाइट का हिस्सा रहा है. हमारे दादा-परदादा इसे इसलिए खाते थे क्योंकि यह सस्ता, पेट भरने वाला और ताकत देने वाला अनाज है. आज जब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं, तब बाजरा फिर से सुपरफूड के रूप में चर्चा में है.

न्यूट्रिशनिस्ट दीपशिखा जैन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि सर्दियों में बाजरे की रोटी क्यों जरूरी है और क्यों इसे सिर्फ ठंड तक सीमित नहीं करना चाहिए. उन्होंने इसके पीछे तीन अहम कारण बताए.

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1. शरीर को नेचुरली गर्म रखने में मदद करता है

दीपशिखा जैन के मुताबिक, बाजरे का थर्मोजेनिक इफेक्ट ज्यादा होता है. इसका मतलब है कि इसे पचाने में शरीर ज्यादा एनर्जी खर्च करता है, जिससे शरीर के अंदर गर्मी पैदा होती है. यही वजह है कि सर्दियों में बाजरा खाने से ठंड कम लगती है और शरीर अंदर से गर्म रहता है. ठंड के मौसम में जब ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है, तब बाजरा शरीर को एक्टिव बनाए रखने में मदद करता है.

2. लगातार एनर्जी, बिना शुगर स्पाइक

बाजरे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. यानी इसे खाने से ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ती. यह धीरे-धीरे पचता है और लंबे समय तक एनर्जी देता है. सर्दियों में अक्सर सुस्ती, आलस और नींद ज्यादा आने की शिकायत रहती है. ऐसे में बाजरे की रोटी दिनभर एनर्जी बनाए रखने में मदद करती है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका शुगर लेवल बॉर्डरलाइन रहता है.

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3. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर

बाजरा सिर्फ पेट भरने वाला अनाज नहीं है, बल्कि यह आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है. ये पोषक तत्व इम्यूनिटी मजबूत करने, हड्डियों को हेल्द रखने और कमजोरी दूर करने में मदद करते हैं. सर्दियों में जब संक्रमण और जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ती है, तब बाजरा शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है.

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बाजरे की रोटी खाने के बड़े फायदे:

  • बाजरे में मौजूद फाइबर और मैग्नीशियम खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं, जिससे दिल हेल्दी रहता है.
  • इसमें पाया जाने वाला कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है.
  • बाजरा नेचुरली ग्लूटेन-फ्री होता है, इसलिए यह वजन कम करने वालों और ग्लूटेन से एलर्जी वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प है.
  • सर्दियों में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, पाचन कमजोर पड़ सकता है और भूख ज्यादा लगती है. बाजरा घना और धीरे पचने वाला होता है, जिससे बार-बार खाने की इच्छा कम होती है.
  • यह लंबे समय तक पेट भरा रखता है और अनहेल्दी स्नैकिंग से बचाता है.

सिर्फ रोटी ही नहीं, बाजरे के और भी रूप:

बाजरा बेहद वर्सेटाइल अनाज है. अगर रोज-रोज रोटी खाना बोरिंग लगे, तो इसे अलग-अलग तरीकों से डाइट में शामिल किया जा सकता है. आप बाजरे की खिचड़ी, उपमा, पैनकेक, दलिया या यहां तक कि बाजरे के हेल्दी चिप्स भी बना सकते हैं. इस तरह स्वाद भी बना रहता है और सेहत भी.

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बाजरे की रोटी को सिर्फ सर्दियों का खाना समझना एक अधूरी सोच है. यह अनाज पूरे साल शरीर को ताकत, पोटेंशियल एनर्जी और जरूरी पोषण देता है. खासतौर पर सर्दियों में यह ठंड से बचाने, सुस्ती दूर करने और इम्यूनिटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है. अगर आप अपनी डाइट में देसी, सस्ता और असरदार सुपरफूड जोड़ना चाहते हैं, तो बाजरा एक बेहतरीन विकल्प है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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