गठिया या जोड़ों का दर्द. जब जोड़ों के बीच यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो गठिया होने का खतरा बढ़ जाता है. गठिया की शुरुआत अक्सर पैरों से होती है. जब उठते बैठते घुटनों में तेज दर्द होने लगे तो समझ लीजिए की गठिया ने जोड़ों में घर बनाना शुरू कर दिया है. सूजन होने पर गठिया के गंभीर होने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
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अर्थराइटिस होने के कारण
अनियमित लाइफस्टाइल गठिया का बड़ा कारण है. वजन बढ़ने से भी गठिया रोग का खतरा बढ़ता है. जोड़ों के आसपास चोट लगने. और कार्टिलेज डैमेज होने से भी गठिया रोग हो सकता है. अगर परिवार में माता या पिता को ये तकलीफ है तो बच्चों में इसके ट्रांसफर होने का खतरा बढ़ जाता है. कोई ऐसी बीमारी होना जिससे इम्यूनिटी सिस्टम पर असर पड़े तो भी अर्थराइटिस की तकलीफ हो सकती है.
गठिया के प्रकार
- ओलिगो अर्थराइटिस- ये चार या उससे कम जोड़ों को प्रभावित करता है. दर्द, अकड़न या सूजन होने पर वो अर्थराइटिस हो सकता है.
- सोरायसिस अर्थराइटिस- गठिया के इस प्रकार में चकते उभरने लगते हैं. ये चकते कभी कभी नाखूनों के आसपास भी दिखाई देते हैं.
- थंब अर्थराइटिस- अंगूठे में होने वाला गठिया
- जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस यानि बच्चों में होने वाला गठिया.
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अर्थराइटिस के लक्षण
जोड़ों में दर्द, जकड़न और सूजन गठिया के खास कारणों में से एक हैं. ये मरीज की चलने फिरने की क्षमता पर भी असर डालते हैं. कुछ लोगों को गठिया का दर्द सुबह सुबह काफी परेशान भी करता है. घुटने, कूल्हे, हाथ, कंधे के अलावा किसी भी तरह के जोड़ में तेज दर्द हो सकता है. कभी कभी गठिया का मरीज एनीमिया यानि कि खून की कमी का शिकार भी सकता है. गंभीर स्थिति होने पर जोड़ों में गांठ भी पड़ जाती है. जो गंभीर स्थिति हो सकती है.
अर्थराइटिस से ऐसे बचें
इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए सबसे पहले अपनी दिनचर्या नियमित रखें और संतुलित भोजन की आदत डालें. गठिया में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. मुश्किल ये है कि गंभीर गठिया होने पर इसका इलाज भी आसान नहीं होता. इसलिए जरूरी है कि खाने पीने का ध्यान रखें. साथ ही एक्सरसाइज या वॉक करते समय ऐसी जगह चुनें जहां पैर के जोड़ों पर अचानक प्रेशर बनने का डर न हो.
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गठिया के लिए टेस्ट
एक्सरे- जोड़ के एक्सरे से अर्थराइटिस को शुरुआती दौर में पकड़ना आसान नहीं. पर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी तेजी से गठिया बढ़ रहा है.
सीटी स्कैन- सीटी स्कैन में सॉफ्ट टिश्यूज आसानी से नजर आ जाते हैं. जिससे बीमारी का अंदाजा हो जाता है.
एमआरआई- कार्टिलेज, टेंडन, लिगामेंट की डिटेल फोटो मिल जाती है.
अल्ट्रासाउंड- गठिया की जड़ पता चलने के बाद इस तकनीक का उपयोग इंजेक्शन लगाने की सही जगह चुनने के लिए होता है.
गठिया का इलाज
गठिया के इलाज के लिए डॉक्टर उसके प्रकार की जांच करने के बाद अलग अलग दवाएं देता है. जिसमें अधिकांश पेनकिलर्स होती हैं. इसके अलावा गठिया से बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय भी किए जा सकते हैं. जैसे-
- गिलोय का काढ़ा पीते रहें.
- हल्दी, मेथी, सौंठ का पाउडर बनाकर पिएं.
- रोज सुबह लहसुन की कुछ कलियां खा लें. ऐसा करने में दिक्कत हो तो लहसुन को थोड़ी देर पान में भिगोकर रखने के बाद खा लें.
- दूध में हल्दी डाल कर पिएं
- नियमित रूप से लोकी का जूस पिएं.
- शहद के साथ दालचीनी पाउडर मिलाकर खाएं.
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गठिया से बचने के लिए डाइट में थोड़ा सा बदलाव करें. और इन चीजों को अपने खान पान की आदत में शामिल करें. पर दर्द बढ़े और रोग नियंत्रण से बाहर हो जाए उससे पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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