Oral Cancer: साइंस की तरक्की के साथ ही कैंसर के इलाज के तरीके भी काफी एडवांस हुए हैं. खासतौर से ओरल कैंसर की बात करें तो रेडिएशन से लेकर सर्जरी तक के तरीके पहले से काफी बदल चुके हैं और बेहतर भी हो चुके हैं. एनडीटीवी ने BLK-MAX के सीनियर डायरेक्टर HOD सर्जरी ओन्को, रोबोटिक सर्जरी डॉ. सुरेंद्र कुमार डबास से जाना कितनी एडवांस हुए हैं ओरल कैंसर के इलाज के तरीके.
ओरल कैंसर का इलाज | Treatment of Oral Cancer
सवाल- ओरल कैंसर के लिए मौजूदा एडवांस इलाज क्या क्या हो सकते हैं?
डॉ. सुरेंद्र कुमार डबास - तीन ट्रीटमेंट दिए जा सकते हैं एक सर्जिकल ट्रीटमेंट, दूसरा रेडिएशन का ट्रीटमेंट और तीसरा होता है मेडिकल ट्रीटमेंट. जिसे मेडिकल ऑन्कोलॉजी कहा जाता है. इस के तहत कीमोथेरेपी और टारगेट थेरेपी दी जाती है. ओरल कैंसर के लिए हम कहते हैं कि ये क्योरेबल है, तब जब हम कहते हैं कि सर्जरी इसका बेस्ट ट्रीटमेंट है. सर्जरी में जो अफेक्टेड एरिया है उसे पूरा निकाला जा सकता है. ये देखते हुए कि आसपास उसके साइड इफेक्ट नहीं आना चाहिए. ये सर्जरी ओपन सर्जरी हो सकती है या लेजर और रोबोट सर्जरी भी हो सकती है. बस उसके मिनिमम साइड इफेक्ट होना चाहिए. ताकि मरीज का बोलना, खाना, पीना चलता रहे. गर्दन और शोल्डर का मूवमेंट होता रहे.
एडवांसमेंट की बात करें तो पहले सर्जरी में बड़ा हिस्सा निकाल दिया जाता था. जिसकी वजह से मरीज की गर्दन का मूवमेंट अच्छा नहीं रहता था. इसका असर उनके बोलने, खाने और पीने पर भी पड़ता था. लेकिन अब हम सर्जरी के दूसरे तरीके भी आजमा रहे हैं. जैसे लेजर सर्जरी, एंडोस्कोपिक सर्जरी. इन सर्जरी का मकसद है कि कैंसर वाला हिस्सा तो निकले ही लेकिन कम से कम साइड इफेक्ट ही आए. आज के समय में जो लेटेस्ट सर्जरी ऑफर की जाती है वो रोबोटिक सर्जरी है.
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सवाल- रोबोटिक सर्जरी कब की जाती है?
डॉ. सुरेंद्र कुमार डबास - रोबोटिक सर्जरी के लिए पेशेंट सिलेक्शन बहुत जरूरी है. ये नहीं किया जा सकता कि मरीज को बहुत बड़ी गांठ है और उसकी रोबोट से सर्जरी कर दी जाए. जीभ पर छोटा सा ट्यूमर हो या गर्दन में कोई गांठ है तो गांठ का इलाज करना पड़ता है. ऐसे केस में अगर चाहते हैं कि पेशेंट का इलाज भी बेहतर हो और फंक्शन्स भी बेटर रहें तब रोबोटिक सर्जरी का ऑप्शन आजमाया जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि बहुत बड़ी गांठ या स्टेज फोर है, जब कैंसर स्प्रेड हो गया तो रोबोटिक सर्जरी नहीं की जा सकती.
रेडिएशन में भी एडवांसमेंट है. रेडिएशन उस हिस्से में देना है जहां ट्यूमर है. बाकी हिस्से को रेडिएशन से बचाना है. तो अब बहुत से तरीके आ चुके हैं लेकिन सबका मकसद एक ही है और कोशिश यही कि साइड इफेक्ट कम से कम हों.
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