आयुर्वेद में आहार को ही सबसे बड़ी औषधि माना गया है. हमारा शरीर जैसा भोजन ग्रहण करता है, वैसा ही उसका स्वास्थ्य और मन बनता है. यही कारण है कि आयुर्वेद हमें ताजा और मौसमी फल-सब्जियां खाने की सलाह देता है. मौसमी फल खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे पचने में आसान होते हैं. उदाहरण के लिए, गर्मियों में तरबूज, खरबूजा और आम शरीर को ठंडक और हाइड्रेशन देते हैं. वहीं, सर्दियों में संतरा, अमरूद और सीजनल जामुन इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं.
वर्षा ऋतु में जामुन और सीताफल शरीर को पाचन संबंधी समस्याओं से बचाते हैं यानी हर मौसम के फल प्रकृति द्वारा उसी समय की जरूरतों के अनुसार हमें दिए गए हैं. यही वजह है कि आयुर्वेद कहता है कि मौसमी भोजन ही सबसे पौष्टिक है.
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर प्रोसेस्ड फूड या पैकेज्ड नाश्ता करना पसंद करते हैं. इनसे शरीर को सिर्फ कैलोरी मिलती है, न कि जीवनदायी ऊर्जा. इसके विपरीत यदि हम नाश्ते में मौसमी फलों का सेवन करें तो हमें भरपूर विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और प्राकृतिक मिठास मिलती है. उदाहरण के तौर पर, सुबह खाली पेट पपीता या सेब खाने से पाचन तंत्र सक्रिय होता है और दिनभर हल्कापन और ताजगी बनी रहती है.
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फलों का सबसे बड़ा गुण है, उनमें मौजूद फाइबर. यह पाचन को सही रखता है, शरीर से विषैले तत्व बाहर करता है और भूख को संतुलित बनाए रखता है. इसके अलावा, फलों में नेचुरल मिठास होती है, जो धीरे-धीरे शरीर को ऊर्जा देती है और ब्लड शुगर को संतुलित रखती है. यही कारण है कि फल खाने के बाद हमें सुस्ती नहीं आती, बल्कि मन और मस्तिष्क दोनों सक्रिय रहते हैं.
आयुर्वेद के अनुसार, फल केवल भोजन नहीं, बल्कि औषधि भी हैं. ये शरीर के दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने में मदद करते हैं. जैसे संतरा और अनार पित्त को संतुलित करते हैं, केला और चीकू वात को शांत करते हैं, जबकि नाशपाती और तरबूज कफ को कम करते हैं. इस प्रकार फल हमारे स्वास्थ्य को समग्र रूप से सुधारते हैं. इसी कारण हमें अपनी दिनचर्या में एक सरल बदलाव करना चाहिए, प्रोसेस्ड और पैकेज्ड नाश्ते को छोड़कर मौसमी फलों को अपनाना चाहिए. यह न केवल हमारे शरीर को हल्का और ऊर्जावान बनाता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और सकारात्मकता भी बढ़ाता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)