क्या आप ले रहे हैं हेल्दी डाइट? जानिए डाइट को न्यूट्रीशियस बनाने के लिए क्या-क्या चीजें हैं जरूरी?

किसी भी खाने की थाली  अगर सारे न्यूट्रीशन्स होते हैं तो वो आपकी हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में क्रिटिकल रोल अदा करते हैं. एक सेहतमंद थाली की वजह से ही गंभीर बीमारियों से लड़ने में शरीर सक्षम होता है और हम भी सेहतमंद होते हैं.

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आपकी रोजाना की डाइट में भरपूर न्यूट्रीशन्स मौजूद होने चाहिए. किसी भी खाने की थाली में अगर सारे न्यूट्रीशन्स होते हैं तो वो आपकी हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में क्रिटिकल रोल अदा करते हैं. एक सेहतमंद थाली की वजह से ही गंभीर बीमारियों से लड़ने में शरीर सक्षम होता है और हम भी सेहतमंद होते हैं. सबसे पहले आपको बताते हैं कि बैलेंस डाइट क्या है और क्यों जरूरी है और डाइट को बैलेंस बनाने के लिए आपको किस तरह के न्यूट्रिशन्स लेने की जरूरत है.

क्या होती है न्यूट्रीशियस डाइट| What Is Nutritious Diet?

हेल्दी और न्यूट्रीशियस डाइट का मतलब है कि ऐसी डाइट जो जरूरी न्यूट्रिशन्स प्रोवाइड करती है. जिसमें सभी तरह के न्यूट्रीशन्स सही मात्रा में मौजूद होते हैं. इन न्यूट्रीशन्स में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फैट्स, विटामिनस और मिनरल्स शामिल होते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक बैलेंस डाइट वो होती है जिसमें अलग अलग तरह के न्यूट्रिशन्स सही मात्रा में होते हैं.

एक मोटे तौर पर देखें तो कार्बोहाइड्रेट्स डेली 50 से 60 परसेंट तक लिए जाने चाहिए. होलग्रेन, ब्राउन राइस, ओट्स से कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं.

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प्रोटीन रोजाना के पोषण का दस से 15 फीसदी होना चाहिए. इसके लिए नॉन वेज, प्लांट बेस्ट प्रोटीन के रूप में दाल, नट्स लिए जा सकते हैं.

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फैट एक दिन में बीस से तीस फीसदी खाने चाहिए. ऑलिव ऑयल, फिश, नट्स से ये कमी पूरी होती है.

विटामिन और मिनरल्स भी रोजाना की डाइट के लिए जरूरी है. ताजे फल सब्जियां, नट्स जैसी चीजों से इनकी कमी पूरी होती है.

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पोर्शन और मील टाइमिंग भी है जरूरी

हेल्दी डाइट का मतलब सिर्फ इन चीजों को खाना ही नहीं है. आप कब कितनी मात्रा में क्या खा रहे हैं. वो भी मायने रखता है, इसलिए डाइट की बात करते समय पोर्शन कंट्रोल पर भी बात होती है. पोर्शन कंट्रोल की वजह से ओवरइटिंग पर काबू पाया जा सकता है. आईसीएमआर ने रेगुलर इंटरवल्स पर खाना खाने पर भी जोर दिया है. ताकि ब्लड शुगर लेवल एकदम न बढ़े. छोटी थाली में नपा तुला खाना लेकर पोर्शन सर्विंग पर कंट्रोल किया जा सकता है. छोटे और रेगुलर टाइमिंग में मील्स लेने पर मेटाबॉलिज्म अच्छा बना रहता है. आईसीएमआर ने इसके लिए तीन बार मेन मील्स लेने और दो बार हल्के मील्स, जिसमें स्नेक्स शामिल हों, लेने पर जोर दिया है. जिसमें डिनर सबसे हल्का मील होना चाहिए.

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पानी भी है जरूरी

खाने के साथ साथ ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि शरीर ठीक तरह से हाईड्रेट हो रहा हो, ये अच्छी डाइट के लिए सबसे जरूरी फैक्टर है. पानी की वजह से डाइजेशन ठीक रहता है और शरीर डिटॉक्स होता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन ने एक दिन में ढाई से तीन लीटर पानी पीने की सलाह दी है. इसके अलावा डाइट में ककड़ी, संतरे, मेलन्स जैसी चीजें शामिल की जानी चाहिए जो शरीर को हाईड्रेट रखती हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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