Bhanu Saptami 2024: आज है भानु सप्तमी, रवि योग में पूजन करने से मिलेगा शुभ फल

Vrat 2024 : भानु सप्तमी के नाम से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दिन सूर्य देव का पूजन किया जाएगा. ये मान्यता है कि इस पूजन से सूर्यदेव भक्तों के रोग और दोष दोनों को हरते हैं.

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Bhanu saptami puja vidhi : भानु सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठ कर घर को स्वच्छ करें.

Bhanu Saptami date 2024 : भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की जो सप्तमी तिथि होती है, उसी पर भानु सप्तमी मनाई जाती है जो कि आज है.  इस बार भानु सप्तमी बेहद खास होगी क्योंकि इस दिन एक साथ दो शुभ योग बन रहे हैं. इन दो योगों की वजह से इस बार की भानु सप्तमी (bhanu Saptami) बहुत खास होने जा रही है. भानु सप्तमी के नाम से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दिन सूर्य देव का पूजन किया जाएगा. ये मान्यता है कि इस पूजन से भगवान सूर्य भक्तों के रोग और दोष दोनों को हरते हैं.

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भानु सप्तमी शुभ योग

25 अगस्त 2024 को पड़ने वाली इस भानु सप्तमी पर दो दो शुभ योग भी बन रहे हैं. पहले योग का नाम है रवि योग और दूसरा योग है त्रिपुष्कर योग. बात करें इन योग के समय की तो रवि योग भानु सप्तमी की तिथि को सुबह 5 बजकर 56 मिनट से शुरू हो जाएगा. जो शाम को 4 बज कर 45 मिनट तक जारी रहेगा. अब बात करते हैं त्रिपुष्कर योग की. ये योग सुबह पौने पांज बजे से शुरू होगा. जो अगले दिन यानी कि 26 अगस्त तक जारी रहेगा. 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट पर योग खत्म होगा.

भानु सप्तमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त

इन दो योगों के अलावा भानु सप्तमी पर भी पूजन का शुभ मुहूर्त है. ज्योतिषिय आकलन के अनुसार भानु सप्तमी को ब्रह्म मुहूर्त में पूजन शुभ होगा. ये मुहूर्त सुबह 4 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा और 5 बजकर 11 मिनट तक जारी रहेगा. इसके बाद रवि योग भी पूजन के लिए शुभ समय ही माना जाएगा. इस योग में पूजन करने पर माना जाता है कि ज्यादा फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो ये दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक जारी रहेगा.

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पूजन की सही विधि

भानु सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठ कर घर को स्वच्छ करें. खुद स्वच्छ हों, स्नान ध्यान से निवृत्त होने के बाद सबसे पहले एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें. इस जल में लाल फूल, लाल चंदन और गुड़ डाल दें. इस पानी से अब भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें. ऐसा करने के साथ-साथ सूर्य मंत्र का जाप भी करते जाएं. अर्घ्य के बाद सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें फिर गायत्री मंत्र का जाप भी करें. ऐसी मान्यता है कि इस पूजन से सूर्य का दोष दूर होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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