वाराणसी के मणि कर्णिका से तुलसी घाट तक गंगा उल्टी क्यों बहती है, क्या है इसके पीछे का रहस्य?

क्या आप जानते हैं काशी उर्फ वाराणसी में गंगा उल्टी क्यों बहती है इसके पीछे का कारण क्या है? अगर आपका जवाब न है तो आज इस लेख में हम इसके पीछे का रहस्य बताने जा रहे हैं, आइए बिना देर किए जानते हैं...

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मणिकर्णिका से तुलसी घाट तक देवी गंगा उल्टी बहती हैं. 

Interesting fact about Ganga river : हिन्दू धर्म में गंगा नदी पूजनीय है. इसे हमारे ग्रंथों में मां का दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने मात्र से आपके सारे पाप धुल जाते हैं. इससे रोग-दोष भी दूर होते हैं. साथ ही यह भी माना जाता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी कहा जाता है कि घर में गंगाजल रखने से नकारात्मकता दूर होती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं काशी उर्फ वाराणसी में गंगा उल्टी क्यों बहती है इसके पीछे का कारण क्या है? अगर आपका जवाब न है तो आज इस लेख में हम इसके पीछे का रहस्य बताने जा रहे हैं, आइए बिना देर किए जानते हैं...

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काशी में गंगा कहां उल्टी बहती हैं - Why does Ganga flow in the reverse direction in Kashi

आपको बता दें कि मणि कर्णिका घाट से तुलसी घाट तक गंगा उल्टी बहती हैं. इन दोनों घाटों के बीच की दूरी 1.5 किलोमीटर है और इतनी दूरी में करीब 45 घाट पड़ते हैं. 

उल्टी गंगा बहने के पीछे धार्मिक और भौगोलिक दोनों कारण हैं. पहले धार्मिक कारण पर बात करते हैं -

वाराणसी में गंगा नदी उल्टी बहने के पीछे धार्मिक कारण - Religious reason behind the reverse flow of river Ganga in Varanasi

पुराणों के अनुसार, स्वर्ग से जब धरती पर गंगा उतरी थीं तो बहाव इतना तेज था कि वाराणसी के घाट पर तपस्या कर रहे भगवान दत्तात्रेय का आसन और कमंडल डेढ़ किलोमीटर तक आगे बह गया, जिसे वापस करने के लिए गंगा वापस लौटकर आती हैं और उन्हें उनकी वस्तुएं लौटाती हैं और उनसे क्षमा मांगती हैं. तब से गंगा नदी डेढ़ किलोमीटर तक उल्टी बहती हैं फिर सामान्य हो जाती हैं. 

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वाराणसी में गंगा नदी उल्टी बहने के पीछे भौगोलिक कारण - Geographical reason behind the reverse flow of river Ganga in Varanasi

वैसे गंगा नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हैं, लेकिन जब काशी में प्रवेश करती हैं, तो इसका बहाव धनुष के आकार का हो जाता है, जिसके कारण गंगा दक्षिण से पूर्व की ओर मुड़ जाती हैं, इसके बाद पूर्वोत्तर की तरफ. ऐसा इस स्थान का घुमावदार होने के कारण है, जिसके कारण डेढ़ किलोमीटर की दूरी में भंवर बन जाता है और मणिकर्णिका से तुलसी घाट तक देवी गंगा उल्टी बहती हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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