Ganga Dussehra: हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा मनाया जाता है. गंगा दशहरा के दिन भक्त गंगा मैया की पूजा करते हैं और स्नान व दान करते हैं. माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन स्नान करने पर भक्तों को पापों से मुक्ति मिल जाती है. भक्त गंगाजल को घर भी लाते हैं और घर के मंदिर में रखते हैं. हर शुभ कार्य में गंगाजल से घर की शुद्धि करने की परंपरा है. इस शुभ दिन को मनाने के पीछे विशेष पौराणिक कथा (Katha) जुड़ी हुई है. इस कथा में जानिए किसलिए मनाया जाता है गंगा दशहरा और क्या है मां गंगा के जीवन से जुड़ी विशिष्ट बातें.
गंगा दशहरा की कथा | Ganga Dussehra Katha
मां गंगा को पूजा जाता है. गंगा दशहरा वह दिन है जब मां गंगा ने पृथ्वी पर अवतरण किया था. इसी दिन भगवान शंकर (Lord Shiva) की जटाओं से निकलकर मां गंगा पृथ्वी पर उतर आई थीं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगीरथ के तप से ब्रह्म देव प्रसन्न हो गए थे और उन्होंने भगीरथ को मन चाहा वरदान मांगने के लिए कहा. भगीरथ ने ब्रह्म देव से वरदान में मां गंगा को मांग लिया. इसपर ब्रह्म देव ने कहा कि गंगा पृथ्वी पर तो आ जाएंगी लेकिन क्या पृथ्वी गंगा के वेग और भार को संभाल सकेंगी. इस पश्चात गंगा के वेग और भार को संभालने के लिए भगवान शिव से अनुग्रह किया गया.
भोलेनाथ से अनुग्रह के पश्चात ही ब्रह्म देव के कमंडल से निकलकर गंगा ने भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर अवतरण किया. भगीरथ के नाम पर ही गंगा का नाम भागीरथी (Bhagirathi) पड़ा था. गंगा के भोलेनाथ की चोटी से निकलकर हिमालय से होते हुए मैदान की तरफ कल-कल बहने पर भगीरथ ने खुद को अत्यधिक भाग्यशाली समझा. वे ब्रह्म देव से अपने पुण्य की प्राप्ति से उपकृत हो गए थे.
माना जाता है कि जो भक्त गंगा दशहरा पर स्नान व दान करते हैं उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा-पाठ करने, गंगा दशहरा की कथा सुनने, गंगा आरती और गंगा में डुबकी लगाने पर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगा दशहरा के दिन दान में अन्न, फल, जल, श्रृंगार सामग्री, घी, नमक, शक्कर और वस्त्र दान में देने शुभ माने जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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