Ganesh Chaturthi 2021 Vrat and Katha:गणेश चतुर्थी व्रत के साथ इस कथा को पढ़ने व सुनने का है खासा महत्व

Ganesh Chaturthi 2021 Vrat and Katha: कई लोग बप्पा की स्थापना के साथ गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं, बप्पा की पूजा करते हैं. उस दिन गणेश जी की एक कथा सुनना और पढ़ना बहुत जरूरी माना जाता है. आज हम आपको गणेश जी की उसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं.

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Ganesh Chaturthi 2021 Vrat and Katha: गणेश चतुर्थी व्रत को करते समय जरूर सुनें कथा
नई दिल्ली:

Ganesh Chaturthi 2021 Vrat and Katha: देशभर में विघ्नहर्ता गणेश जी के जन्मोत्सव को पूरे धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. ढोल नगाड़ों के साथ गणपति का आगमन होता है. पंडालों और घरों में बप्पा को विराजित किया जाता है. वैसे तो इस त्योहार की खुशी और उत्साह देशभर में दिखाई देती है, लेकिन महाराष्ट्र में इसकी धूम और रौनक कुछ अलग ही नजर आती है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) के मौके पर पूरे विधि विधान के साथ गणपति की स्थापना करने से सभी दुखों का अंत हो जाता है. कई लोग बप्पा की स्थापना के साथ गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) के दिन व्रत रखते हैं, बप्पा की पूजा करते हैं. उस दिन गणेश जी की एक कथा सुनना और पढ़ना बहुत जरूरी माना गया है. आज हम आपको गणेश जी की उसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं.

क्या है गणेश व्रत कथा

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे. वहां मां पार्वती ने भोलेनाथ से समय बिताने के लिए चौपड़ खेलने को कहा. अपनी पत्नी के इस अनुरोध पर भगवान शिव चौपड़ खेलने के लिए मान गए, लेकिन प्रश्न उठा कि इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा? इसके जवाब में भगवान शंकर ने कुछ तिनकों को एकत्रित कर उनका एक पुतला बनाया और उस पुतले की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी. फिर भोलेनाथ ने पुतले से कहा कि हम चौपड़ खेलना चाहते हैं परन्तु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला यहां कोई नहीं है, इसलिए तुम्हें बताना है कि हम में से कौन हारा और कौन जीता.

Ganesh Chaturthi 2021 Vrat and Katha: इस कथा को सुनने की है परंपरा

ये कहने के बाद चौपड़ का खेल शुरू हुआ. ये खेल 3 बार खेला गया, तीनों बार भगवान शंकर हार गए और माता पार्वती जी चौपड़ का खेल जीत गईं. खेल के खत्म होने पर उस बालक से जब हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया तो बालक ने भोलेनाथ को विजेता बता दिया. ये सुनकर मां पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने गुस्से में आकर उस बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में पडे़ रहने का श्राप दे दिया. बालक ने माता से माफी मांगी और कहा कि मुझसे गलती से ऐसा हुआ, मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया. बालक के माफी मांगने पर मां पार्वती ने उससे कहा कि, यहां गणेश पूजन के लिए कुछ नाग कन्याएं आएंगी, तुम उनके कहे अनुसार गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे. बस इतना कहकर माता पार्वती और भगवान शिव कैलाश पर्वत पर चले गए.

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नाग कन्याओं से जानी भगवान गणेश व्रत की विधि

ठीक एक वर्ष बाद उस जगह पर नाग कन्याएं आईं. नाग कन्याओं से श्री गणेश के व्रत (Ganesh Chaturthi 2021) की पूरी विधि मालूम करने के बाद उस बालक ने 12 दिन लगातार गणेश जी का व्रत रखा. उसकी इस भक्ति को देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और बालक को मनोवांछित फल दिया, जिसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पहुंचकर अपने माता-पिता के दर्शन किए. इसके बाद भोलेनाथ ने भी 21 दिन का व्रत रखा, जिसके बाद माता पार्वती के मन में शिव जी को लेकर जो भी नाराजगी थी, वो दूर हो गई.

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