Eid 2020: आज है ईद, जानिए मुसलमानों के लिए क्‍या हैं इस त्‍योहार के मायने

Eid 2020:ईद-उल-फित्र को मीठी ईद (Meethi Eid) भी कहा जाता है. इस दिन सभी मुस्लिम लोगों के घरों में शाही पकवान बनाए जाते हैं. अलग-अलग देशों में अलग-अलग पकवान बनाने का चलन है.

Eid 2020: आज है ईद, जानिए मुसलमानों के लिए क्‍या हैं इस त्‍योहार के मायने

Eid 2020: इस बार ईद का त्योहार लॉकडाउन में मनाया जाएगा.

नई दिल्ली:

Eid 2020: आज भारत समेत दुनिया भर में ईद का त्‍योहार मनाया जा रहा है. यह मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है. ईद को ईद-उल फित्र (Eid-Ul-Fitr 2020) भी कहा जाता है. ईद का त्योहार रमजान के पाक महीने के (29 या 30) रोजे रखने पर ईद का चांद (Eid Ka Chand) दिखाई देने पर मनाया जाता है. ईद का त्योहार भाईचारे का प्रतीक है. ईद के त्योहार का जश्न 3 दिन तक चलता है. ईद के दिन लोग सुबह के समय ईदगाह में ईद की नमाज अदा करते हैं और एक दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद (Eid Mubarak 2020) देते हैं. लेकिन इस बार ईद का त्योहार कोरोनावायरस लॉकडाउन (Eid In Lockdow) के चलते हर साल की तरह नहीं मनाया जाएगा, क्योंकि लोगों को मस्जिदों में ईद की नमाज़ अदा करने और बाहर रहकर जश्न मनाने की इजाजत नहीं होगी.

कैसे मनाया जाता है ईद का त्योहार?
ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नए कपड़े पहनते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं. मुस्लिम पुरुष सुबह उठकर ईदगाह या मस्जिदों में ईद की नमाज अदा करते हैं और एक दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद देते हैं. सभी लोग एक दूसरे के घर जाते हैं. मिठाइयां और तोहफे बांटते हैं. सभी बड़े इस दिन अपने छोटों को तोहफे के रूप में ईदी देते हैं. हालांकि, ईस बार लॉकडाउन के चलते मस्जिदों में ईद की नमाज अदा नहीं की जाएगी और न ही लोग एक दूसरे के घर जा पाएंगे. इस बार ईद के त्योहार का जश्न घरों में रहकर परिवार के लोगों के साथ ही मनाया जाएगा.

ईद के दिन घरों में बनते हैं शाही पकवान
ईद-उल-फित्र को मीठी ईद (Meethii Eid) भी कहा जाता है. इस दिन सभी मुस्लिम लोगों के घरों में शाही पकवान बनाए जाते हैं. अलग-अलग देशों में अलग-अलग पकवान बनाने का चलन है. भारत में ईद पर सभी मुस्लिम घरों में सेवइयां बनाई जाती है. सेवइयां ईद की सबसे अहम और स्पेशल डिश होती है और इसके बिना यह त्योहार अधूरा होता है. इसके अलावा भी अलग-अलग घरों में अलग-अलग पकवान बनाए जाते हैं. 

इस्लाम में मनाई जाती हैं दो ईद
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल में दो ईद मनाई जाती हैं. एक ईद-उल-फित्र और दूसरी ईद-उल-जुहा. ईद-उल-फित्र का यह त्योहार रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर इस्लामिक महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है, जबकि ईद-उल-जुहा का त्योहार ईद-उल-फित्र के लगभग दो महीने के बाद मनाया जाता है. इसे बकरीद भी कहते हैं.

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ईद से पहले जकात और फितरा देने का महत्व
ईद की नमाज से पहले सभी मुसलमानों पर फर्ज है कि वे अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान दें. रमजान के महीने में ये दान दो रूप में दिया जाता है, फितरा और जकात. रमजान के महीने में ईद से पहले फितरा और जकात देना हर हैसियतमंद मुसलमान पर फर्ज (जरूरी) होता है. दरअसल, इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, अल्लाह ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है. गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए अल्लाह ने हर संपन्न मुसलमान पर जकात और फितरा देना फर्ज कर दिया है. हालांकि, लोग अपनी हैसियत के हिसाब से कम या ज्यादा दान गरीबों में दे सकते है, ताकि, ईद का त्योहार सभी लोग खुशी से मना सकें.