दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को सभी 70 सीटों पर वोट डाले गए. चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 60.54 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 70 सदस्यों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त होने वाला है, इससे पहले नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिला. सभी दलों की तरफ से चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी गई. पीएम मोदी, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ने कई सभाओं को संबोधित किया. पिछले 2 विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को शानदार जीत मिलती रही है. 2013 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. 2015 और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ था. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीती थीं. वहीं बीजेपी को महज 8 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस का लगातार दूसरी बार दिल्ली से सफाया हो गया था. गौरतलब है कि साल 1991 में केंद्र सरकार ने संविधान में 69वां संशोधन कर दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया था, जिसके बाद दिल्ली में विधानसभा फिर वजूद में आई और 1993 में विधानसभा चुनाव के बाद निर्वाचित सरकार बनी. 1993 के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी. 1998, 2003 और 2008 में कांग्रेस पार्टी को जीत मिली थी. वहीं 2013 में किसी दल को बहुमत नहीं मिला. 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी.