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Mothers Day: मां पर क्या खूब लिखा है, 'मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई'

Mothers Day Best Poem: मां पर तो न जाने कितनी कविताएं और लाइने लिखीं गई है. पढ़िए दिल छू लेने वाली कविताएं.

Mothers Day: मां पर क्या खूब लिखा है, 'मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई'
नई दिल्ली:

Mothers Day Best Poem: क्या कभी मां को शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है? शायद नहीं... लेकिन मां के प्रति प्रेम को बताने की हर किसी ने कोशिश की है. बड़े-बड़े शायरों ने मां के प्रेम को बहुत ही बहुत सुंदर तरीके से लिखा है. जन्म देने वाली मां जो अपने बच्चे से निश्चल प्रेम करती है. इस दुनिया में प्रेम का अगर कोई रूप है तो वे मां है जो हमेशा से केवल देना जानती है. मां पर एक ऐसी ही कविता है जो काफी पसंद की जाती है. जिसमें मां की अहमियत को बयां किया है और प्रेम को. 

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई

यहाँ से जाने वाला लौट कर कोई नहीं आया
मैं रोता रह गया लेकिन न वापस जा के माँ आई

अधूरे रास्ते से लौटना अच्छा नहीं होता
बुलाने के लिए दुनिया भी आई तो कहाँ आई

किसी को गाँव से परदेस ले जाएगी फिर शायद
उड़ाती रेल-गाड़ी ढेर सारा फिर धुआँ आई

मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरी
तो फिर इन बद-नसीबों को न क्यूँ उर्दू ज़बाँ आई

क़फ़स में मौसमों का कोई अंदाज़ा नहीं होता
ख़ुदा जाने बहार आई चमन में या ख़िज़ाँ आई

घरौंदे तो घरौंदे हैं चटानें टूट जाती हैं
उड़ाने के लिए आँधी अगर नाम-ओ-निशाँ आई

कभी ऐ ख़ुश-नसीबी मेरे घर का रुख़ भी कर लेती
इधर पहुँची उधर पहुँची यहाँ आई वहाँ आई

-मुनव्वर राना

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