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Javed Akhtar ki Kavitayen: जावेद अख़्तर ने लिखी अपनी बेटी जोया के नाम 'दोराहा', हर लड़की को पढ़नी चाहिए ये कविता

Javed Akhtar ki Kavitayen: जावेद अख्तर कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक हैं. सोशल मीडिया पर भी काफी फेमस हैं.

Javed Akhtar ki Kavitayen: जावेद अख़्तर ने लिखी अपनी बेटी जोया के नाम 'दोराहा', हर लड़की को पढ़नी चाहिए ये कविता
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नई दिल्ली:

Javed Akhtar ki Kavitayen: जावेद अख्तर एक जाने-माने कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक हैं. उन्होंने कई कविताएं और कहानियां लिखी. जावेद अख्तर एक अच्छे स्पीकर भी हैं इसलिए उनका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल रहता है. वह सीता और गीता, जंजीर, दीवार और शोले की कहानी, पटकथा और संवाद काफी फेमस है. वैसे तो उनकी कई रचनाए हैं. इन दिनों उनकी एक कविता 'दोराहा' काफी चर्चा में है जो उन्होंने अपनी बेटी के लिए लिखी थी. साथ ही उन्होंने कहा कि ये कविता हर लड़की  और महिला को  पढ़नी चाहिए. पढ़िए जावेद अख्तर की दोराहा. 

ये जीवन इक राह नहीं
इक दोराहा है

पहला रस्ता बहुत सरल है
इसमें कोई मोड़ नहीं है
ये रस्ता इस दुनिया से बेजोड़ नहीं है
इस रस्ते पर मिलते हैं रिश्तों के बंधन
इस रस्ते पर चलने वाले 
कहने को सब सुख पाते हैं
लेकिन
टुकड़े टुकड़े होकर 
सब रिश्तों में बंट जाते हैं
अपने पल्ले कुछ नहीं बचता
बचती है बेनाम सी उलझन
बचता है सांसों का ईंधन
जिसमें उनकी अपनी हर पहचान
और उनके सारे सपने
जल बुझते हैं
इस रस्ते पर चलनेवाले
ख़ुद को खोकर जग पाते हैं
ऊपर-ऊपर तो जीते हैं
अंदर-अंदर मर जाते हैं

दूसरा रस्ता बहुत कठिन है
इस रस्ते में कोई किसी के साथ नहीं है
कोई सहारा देनेवाला हाथ नहीं है
इस रस्ते में धूप है 
कोई छांव नहीं है
जहां तस्सली भीख में देदे कोई किसी को
इस रस्ते में ऐसा कोई गांव नहीं है
ये उन लोगों का रस्ता है
जो ख़ुद अपने तक जाते हैं
अपने आपको जो पाते हैं
तुम इस रस्ते पर ही चलना

मुझे पता है 
ये रस्ता आसान नहीं है
लेकिन मुझको ये ग़म भी है
तुमको अब तक 
क्यूं अपनी पहचान नहीं है

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