
Delhi School Children: दिल्ली के स्कूली बच्चों में बुनियादी ज्ञान और कौशल की भारी कमी है. हाल में एक सर्वे में इसकी जानकारी मिली है. नेशनवाइड फाउंडेशनल लर्निंग सर्वे (FLS) ने पाया कि दिल्ली के कक्षा तीसरी के आधे से अधिक छात्रों में छात्र "सीमित" फाउंडेशनल संख्यात्मक कौशल या उनमें बुनियादी ज्ञान और कौशल की कमी" है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया यह अध्ययन देश के 10,000 स्कूलों में कक्षा III के 86,000 बच्चों के बीच किया गया. दिल्ली के 515 स्कूलों से 2,945 छात्रों को सैंपल के तौर पर लिया गया.
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इस सर्वे में बच्चों के प्रदर्शन के आधार पर, उन्हें चार श्रेणियों में रखा गया. पहले श्रेणी में उन बच्चों को रखा गया जिनके पास सबसे बुनियादी ज्ञान और कौशल की कमी थी. उसके बाद दूसरी श्रेणी में उन्हें रखा गया, जिनके पास सीमित ज्ञान और कौशल है. तीसरे श्रेणी में उन्हें जिनके पास पर्याप्त ज्ञान और कौशल है और अंतिम श्रेणी और चौथे श्रेणी में उन्हें जिन्होंने बेहतर ज्ञान है. फाउंडेशनल संख्यात्मक में दिल्ली के मूल्यांकन किए गए बच्चों में से 40% बच्चों के पास सीमित ज्ञान और कौशल पाया गया. वहीं 12% प्रतिशत बच्चों में बुनियादी ज्ञान और कौशल की कमी पाई गई, जबकि 41% में पर्याप्त ज्ञान और कौशल पाया गया और बेहतर ज्ञान और कौशल रखने वाले बच्चों की प्रतिशता 7 है.
हालांकि दो निचली श्रेणियों में प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर की तुलना में दिल्ली में थोड़ा अधिक है, जहां 11% को बुनियादी कौशल की कमी के रूप में रखा गया है जबकि 37% में आंशिक कौशल पाया गया है. बुनियादी कौशल की कमी पाए गए बच्चों के प्रतिशत के मामले में दिल्ली एक तिहाई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे नीचे है.
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वहीं नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS) में दिल्ली ने कक्षा तीसरी के स्तर पर गणित और भाषा दोनों में सबसे कम औसत स्कोर वाले पांच राज्यों में जगह बनाई है. नेशनवाइड फाउंडेशनल लर्निंग सर्वे के निष्कर्ष प्रत्येक बच्चे के पर्सनल इंटरव्यू पर आधारित हैं.
बता दें कि मूलभूत अंकगणित में, बच्चों के कार्यों में संख्याओं और आकृतियों से युक्त पैटर्न की पहचान करना और उनका विस्तार करना, जोड़-घटाव के आधार पर समस्याओं को हल करना, बड़ी संख्या की पहचान करने के लिए संख्याओं के जोड़े की तुलना करना और भिन्न मानों की पहचान करना और उनका प्रतिनिधित्व करना शामिल था.
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