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अब पाकिस्तान में भी पढ़ाई जाएगी भगवद गीता और महाभारत, क्लासरूम गूंजेंगे संस्कृत श्लोक

लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) के गुरमानी केंद्र के निदेशक डॉ. अली उस्मान कास्मी ने कहा 10-15 साल में, हम पाकिस्तान में रहने वाले गीता और महाभारत के स्कॉलर्स को देख सकेंगे.

अब पाकिस्तान में भी पढ़ाई जाएगी भगवद गीता और महाभारत, क्लासरूम गूंजेंगे संस्कृत श्लोक
कोर्स के हिस्से के तौर पर, स्टूडेंट्स को महाभारत टेलीविजन सीरीज के मशहूर थीम "है कथा संग्राम की" का उर्दू वर्जन भी सिखाया जा रहा है.

पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी के क्लासरूम में अब संस्कृत के श्लोक गूंजने वाले हैं. पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) में संस्कृत पढ़ाई जाएगी. यूनिवर्सिटी में क्लासिकल लैंग्वेज कोर्स के तहत संस्कृत को शामिल किया गया है. इस पाठ्यक्रम के तहत भगवद् गीता और महाभारत भी पढ़ाई जाएंगी. LUMS ने क्लासिकल भाषा में चार-क्रेडिट का कोर्स शुरू किया है. दरअसल यहां पर तीन महीने तक एक वीकेंड वर्कशॉप चली थी. वर्कशॉप में छात्रों, शोधकर्ताओं और भाषा में रुचि रखने वालों ने हिस्सा लिया था. इस दौरान संस्कृत को लेकर काफी रूची देखने को मिला. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस विषय को नियमित पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाने का फैसला लिया.

कोर्स के हिस्से के तौर पर, स्टूडेंट्स को महाभारत टेलीविजन सीरीज के मशहूर थीम "है कथा संग्राम की" का उर्दू वर्जन भी सिखाया जा रहा है. एलयूएमएस के गुरमानी केंद्र के निदेशक डॉ. अली उस्मान कास्मी ने इस मामले पर बात करते हुए एक मीडिया हाऊस से कहा कि पाकिस्तान में संस्कृत की धरोहर है, पंजाब विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में संस्कृत की पांडुलिपियों का एक बड़ा संग्रह मौजूद है. जिसपर सही से ध्यान नहीं दिया गया. इन पांडुलिपियों का उपयोग अधिकतर विदेशी शोधकर्ता ही करते रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी का मकसद महाभारत और भगवद गीता पर आनेवाले कोर्स को भी बढ़ाना है. डॉ. कासमी ने कहा, "10-15 साल में, हम पाकिस्तान में रहने वाले गीता और महाभारत के स्कॉलर्स को देख सकेंगे."

"संस्कृत हमारी भी है"

डॉ. रशीद ने कहा कि लोग अक्सर संस्कृत पढ़ने के उनके फैसले पर सवाल उठाते हैं. ऐसे में मैं उनसे कहता हूं, हमें इसे क्यों नहीं सीखना चाहिए? यह पूरे इलाके को जोड़ने वाली भाषा है. संस्कृत के व्याकरण के जानकार पाणिनी का गांव इसी इलाके में था. सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान यहां बहुत कुछ लिखा गया था. हमें इसे अपनाना चाहिए. यह हमारी भी है; यह किसी एक खास धर्म से बंधी नहीं है."

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