
हमारे देश का मान बढ़ाने वाली एक बेहद गर्व की खबर सामने आई है. दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के न्यूरोसर्जरी विभाग ने एक नया इतिहास रच दिया है. अब यह विभाग न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे एशिया और दुनिया में अपनी धाक जमा चुका है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता का आकलन करने वाली जानी-मानी एजेंसी 'एडुरैंक' ने अपनी 2025 की ग्लोबल रैंकिंग जारी की है. इस रैंकिंग में एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग को दुनिया भर में 11वां स्थान मिला है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. इतना ही नहीं, यह विभाग पूरे एशिया में दूसरे नंबर पर और भारत में पहले नंबर पर काबिज हुआ है. यानी, दिल्ली एम्स का न्यूरोसर्जरी विभाग अब भारत में 'नंबर वन' है.
किन संस्थानों को पछाड़ा?
एडुरैंक ने 183 देशों के 14,131 विश्वविद्यालयों के बीच यह मूल्यांकन किया. इसमें 11.52 करोड़ से ज़्यादा साइंटिफिक रिसर्च पेपर और लगभग 296 करोड़ से ज़्यादा उद्धरणों का गहराई से विश्लेषण किया गया. सबसे खास बात ये है कि एम्स का न्यूरोसर्जरी विभाग ने विश्व के कई नामचीन संस्थानों को भी पीछे छोड़ दिया है, जिनमें यूसीएलए लॉस एंजिल्स, यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग, जर्मनी की चारिटे-मेडिकल यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जैसे दिग्गज भी शामिल हैं. ये वाकई में चौंकाने वाली बात है कि हमारा एम्स इन विश्वविख्यात संस्थानों से भी आगे निकल गया है.
क्या है सफलता का राज?
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर खुशी जताते हुए, विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पी. सरत चंद्रा ने बताया कि उनके विभाग की एक बहुत ही शानदार विरासत है. इस विभाग की स्थापना 1 मार्च 1965 को प्रोफेसर पी.एन. टंडन और प्रोफेसर ए.के. बनर्जी जैसे महानुभावों ने की थी. आज हम उनकी ही बनाई गई मजबूत नींव पर खड़े हैं.
प्रोफेसर चंद्रा ने बताया कि एम्स का न्यूरोसर्जरी विभाग आज दुनिया के सबसे बड़े विभागों में से एक है. यहाँ हर साल 6,000 से भी ज़्यादा जटिल न्यूरोसर्जरी की जाती हैं. हमारे पास 9 अत्याधुनिक ऑपरेटिंग रूम हैं, जहाँ हर तरह की मॉडर्न सर्जरी होती है. इसके साथ ही, विभाग में 24 से ज्यादा अनुभवी फैकल्टी सदस्य, 38 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर और 7 फेलो भी हैं, जो लगातार मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं.
उन्होंने आगे बताया, "हमारे पास एक अत्याधुनिक कौशल प्रशिक्षण प्रयोगशाला (Skill Training Lab) भी है, जहाँ नए न्यूरोसर्जन को आधुनिक सिमुलेटर की मदद से ट्रेनिंग दी जाती है. हमारे फेलोशिप प्रोग्राम्स में मिर्गी (Epilepsy) और फंक्शनल न्यूरोसर्जरी, स्कल बेस (Skull Base) और सेरेब्रोवास्कुलर सर्जरी, बच्चों की न्यूरोसर्जरी और स्पाइन सर्जरी जैसी कई एडवांस स्पेशलिटीज शामिल हैं."
प्रोफेसर चंद्रा ने यह भी बताया कि एम्स का न्यूरोसर्जरी विभाग सिर्फ इलाज में ही नहीं, बल्कि रिसर्च में भी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है. यहाँ कनेक्टोमिक्स, इंट्रासेल्युलर-इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और जीनोमिक्स जैसे क्षेत्रों में भी बेसिक साइंस रिसर्च की बेहतरीन सुविधाएं हैं. यह विभाग हर साल बड़ी संख्या में क्लीनिकल और बेसिक साइंस रिसर्च पेपर प्रकाशित करता है, जो इसे दुनिया के गिने-चुने विभागों में से एक बनाता है.
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