- दिल्ली के आया नगर गांव में दो परिवारों के बीच लेनदेन विवाद के कारण जानलेवा दुश्मनी शुरू हुई है
- पिछले डेढ़ साल में दो बार शूटआउट हुए, जिसमें दीपक और अरुण के बीच घातक संघर्ष शामिल है
- रतन लोहिया की हत्या हुई, जिन पर 69 गोलियां चलाई गईं और यह एक कॉन्ट्रैक्ट किलिंग माना जा रहा है
दिल्ली के एक गांव (आया नगर) में इन दिनों मौत का सन्नाटा पसरा हुआ है. दोस्त से दुश्मन बने दो परिवारों के बारे में लोग बात करने से भी कतराते रहे हैं.बताया जाता है कि आया नगर के रहने वाले दीपक और अरुण कभी अच्छे दोस्त और पड़ोसी थे लेकिन एक लेनदेन के विवाद में दोनों एक दूसरे के खून के दुश्मन बन गए. दुश्मनी इतनी बढ़ गई कि बीते डेढ़ साल में दो शूट आउट हुए. पहला शूट आउट छतरपुर जबकि दूसरा आया नगर में हुआ. इसी दुश्मनी में एक बार फिर एक शख्स की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई है. जिस शख्स की हत्या की गई है उसकी पहचान रतन लोहिया के रूप में की गई है. दिल्ली पुलिस फिलहाल इस हत्याकांड की जांच कर रही है.
पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का एंगल भी सामने आया है. इनपुट मिले हैं कि विदेश में बैठे गैंगस्टर्स ने इस हत्या के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया था. फिलहाल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल और अन्य टीमें शूटरों की तलाश में जुटी हैं. इसी विवाद में अरुण ने दीपक की पिटाई कर दी.इसके जवाब में दीपक ने पिछले साल छतरपुर में अरुण की कथिततौर पर हत्या कर दी. दीपक अब जेल में है लेकिन अरुण की जान का बदला दीपक के पिता रतन कुमार लोहिया की हत्या करके ली गई.
मेरे पिता को मारी गई 69 गोलियां
आपको बता दें कि दीपक फिलहाल हत्या के आरोप में जेल में बंद है. अब अरुण के परिजनों पर रतन लोहिया की हत्या का आरोप है. दीपक की बहन और रतन लोहिया की बेटी निकिता ने इस हत्याकांड को लेकर NDTV से बात की. उन्होंने रोते हुए बताया कि उनके पिता को 69 गोलियां मारी गई हैं. उनके शरीर में इतनी गोलियां थी कि उनको निकालने में 24 घंटे घंटे में तीन बार पोस्टमॉर्टम करना पड़ा. रतन लोहिया की हत्या बेरहमी से की गई है. इस हत्याकांड में 10 से 15 आरोपी शामिल थे. निकिता का आरोप है कि इस हत्याकांड में खास तौर पर अरुण के चाचा कमल लोहिया उसके भाई अंकित लोहिया के साथ कुछ बड़े शूटर्स भी शामिल थे.
बेटे की दुश्मनी में पिता की हुई हत्या
निकिता ने NDTV को बताया कि उनके पिता रतन लोहिया पहले ही अरुण और दीपक की दोस्ती के खिलाफ थे यहां तक कि दीपक को उन्होंने बेदख़ल कर रखा था. दीपक ने जब कथित हत्या की थी तब रतन लोहिया ने कहा था कि मैं पैरवी करने नहीं जाऊंगा. अपनी हत्या से 15 दिन पहले उन्होंने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी लेकिन उसके बावजूद उनकी सुरक्षा नहीं दी गई और अब हत्या हो गई. अरुण दीपक की दुश्मनी की वजह से जान के डर से दीपक का छोटा भाई विदेश भागा दीपक के घर में अब उसकी मां और तीन बहन रह गए हैं. मृतक अरुण के घर पर भी कोई नहीं है.
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