कभी अरविंद केजरीवाल के गुरु रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने चुनावी नतीजों के बीच बड़ी बात कही है. बकौल अन्ना हजारे- केजरीवाल पहले अच्छे आदमी थे मगर अब वह गलत राह पर हैं. शुरू में केजरीवाल के विचार अच्छे थे लेकिन अब वो शराब की बात करते हैं. जिस शराब के लिए हम लोगों ने आंदोलन किया वो उसी की राह पर चलने लगे. जिस ईमानदारी की हमने बात की वो उसी से भटक गए...
अन्ना ने न्यूज एजेंसी से लंबी बात की है...पर बुजुर्ग समाजसेवी की पूरी बात का लब्बोलुआब ये है कि शराब और शीशमहल केजरीवाल एंड पार्टी को ले डूबा. आम आदमी पार्टी जहां पैदा हुआ,बड़ी हुई और राष्ट्रीय फलक पर फैल गई वहीं वो अब दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है. इस हार के तमाम विश्लेषण हो सकते हैं लेकिन Keyword के तौर पर शीशमहल और शराब ट्रेंड करेगा ये तो पक्का है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसी को समझने के लिए बात शुरू से शुरू करते हैं.
2012 से लेकर 2020 तक का चमकदार सफर
बात 13 साल पहले की है..तारीख थी 26 नवंबर 2012. अन्ना हज़ारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ख़त्म हो चुका था.इसी के तुरंत बाद केजरीवाल ने राजनीति में आने का ऐलान कर दिया. कहा- 'मजबूरी में हम लोगों को राजनीति में उतरना पड़ा. हमें राजनीति नहीं आती है. हम इस देश के आम आदमी हैं जो भ्रष्टाचार और महंगाई से दुखी हैं'. अन्ना के आंदोलन की तरह केजरीवाल के इस बयान ने भी लोगों की उम्मीदें आसमान पर चढ़ा दीं. इसी वजह से 2013 के चुनाव में नई नवेली पार्टी के खाते में 28 सीटें आ गईं. तब केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. इसके बाद आया साल 2015 का चुनाव. लोगों की उम्मीदों के पंख पर सवार होकर केजरीवाल ने वो जीत दर्ज की जिसे अद्भुत और अकल्पनीय कहा जा सकता है. तब आम आदमी पार्टी के खाते में रिकॉर्ड 67 सीटें आईं. पार्टी को दिल्ली की 54.5 फीसदी जनता का वोट मिला. इस प्रचंड जीत से AAP को बूस्टर डोज मिला. पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर पांव पसारने शुरू कर दिए. इसके बाद आया 2020 का विधानसभा चुनाव. तब AAP को 48 सीटें मिलीं यानि एंटी इनकंबेंसी के बावजूद पार्टी पर दिल्ली की जनता का भरोसा कायम रहा.
'शराब' का साथ, सियासी सड़क पर यूं डगमगाई AAP
ऐसा कहा जाता है कि जनता के इसी भरोसे ने AAP को उसके मूल रास्ते से भटका दिया जिसकी कसमें खा कर वो दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी.उसे लगने लगा कि वो अजेय है. लेकिन इसी दौरान दिल्ली में शराब घोटाले का मुद्दा उठा . याद कीजिए जब दिल्ली के लोगों को एक के साथ एक शराब की बोतल फ्री में मिल रही थी तो इसकी पूरे देश में चर्चा हुई. दिल्ली की जनता को लगा कि ये तो गजब हो गया. केजरीवाल एंड टीम ने इसे खूब भुनाया भी लेकिन कुछ वक्त बाद इस स्कीम पर सवाल उठने लगे. ऐन चुनाव ठीक पहले CAG की रिपोर्ट लीक हुई. जिसमें ये दावा किया गया कि शराब घोटाले से दिल्ली को 2 हजार करोड़ की चपत लगी है. इसी बीच इस कथित शराब घोटाले के आरोप में केजरीवाल समेत पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को जेल की हवा खानी पड़ी. इसका असर पार्टी की रणनीति पर भी दिखा. आम तौर पर आक्रामक रहने वाली आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद कई मौक़ों पर डिफ़ेंसिव मोड में दिखी.हो भी क्यों न? तमाम राजनीतिक आरोपों को एक तरफ रख भी दें तो भी अलग-अलग अदालतें AAP के बड़े नेताओं को बार-बार जमानत देने से इनकार करती रहीं. दूसरी तरफ जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और कहा- अब'जनता की अदालत' में वे ख़ुद को साबित करेंगे. लेकिन तब तक शायद खेल हो चुका था. जिन शर्तों पर केजरीवाल को जमानत मिली उसके चलते जनता के मन में संदेह पैदा हो गया कि जीत के बाद भी केजरीवाल शायद ही CM बन सकेंगे. इसी शराब घोटाले के बहाने BJP और कांग्रेस जनता को ये समझाने में कामयाब रहीं कि AAP नेता जो ईमानदारी की कसमें खाते हैं उन्होंने कहीं न कहीं बेईमानी की है.
शीशमहल: 'एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा'
इसके बाद 'एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा' कहावत को चरितार्थ करते हुए 'शीशमहल' का मुद्दा सामने आ गया. इस पूरे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने सारा फोकस केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते बने सीएम हाऊस पर रखा. दोनों ही पार्टियां ने इसे शीशमहल का नाम दिया. ये नाम अंग्रेजी में कहें तो Catchy था...BJP ने हर दूसरे दिन शीशमहल के पोस्टर और वीडियो जारी किए. एक चैनल ने तो बकायदा रिपोर्ट जारी कर बताया कि इस आवास पर कैसे करोड़ों का खर्च हुआ है. इस घर में क्या-क्या सुविधाएं हैं. आरोप लगा कि इस पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और पूरे घर को लग्जरी होटल की तरह बनाया गया है. बीजेपी ने इस घर के कई वीडियो वायरल कर दिए. चुनाव परिणाम भी बताते हैं कि जनता ने इसे हाथों-हाथ लिया है. हो भी क्यों न?..जिस दिल्ली में जनता को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा, सरकार पर टैंकर माफिया हावी हो रहा है. BJP जनता को ये समझाने में भी कामयाब रही कि पूरी दिल्ली में सफाई व्यवस्था चरमरा चुकी है. लोगों ने इसे इसलिए भी स्वीकार किया कि MCD में फिलहाल AAP का राज है. शीशमहल के मुद्दे के बीच आम आदमी पार्टी के पास सफाई का कोई बहाना नहीं बचा. चुनाव की तारीख यानी 5 फरवरी आते-आते लोगों का आम आदमी पार्टी पर से भरोसा उठ गया और 8 फरवरी को नतीजों ने पूरी तस्वीर साफ कर दी.
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