केजरीवाल सरकार के दौरान के एक और प्रोजेक्ट की होगी जांच, CM की सिफारिश पर LG ने दिए आदेश

मामला पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सरकार के समय शुरू हुई परियोजना से जुड़ा है. 28 जुलाई 2025 को हुई व्यय वित्त समिति (EFC) की बैठक में एसीबी जांच की सिफारिश की गई थी. सीएम रेखा गुप्ता ने एसीबी जांच की कार्रवाई को मंजूरी दी.

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  • एलजी वीके सक्सेना ने बारापुला एक्सटेंशन प्रोजेक्ट में देरी और लागत बढ़ोतरी की एसीबी जांच के आदेश दिए हैं
  • जांच में पीडब्ल्यूडी, राजस्व विभाग और डीटीएल से जुड़े मंत्री और अधिकारी शामिल हैं
  • एल एंड टी कंपनी की लापरवाही भारत मंडपम अंडरपास निर्माण में भी सामने आई थी, जिससे परियोजना प्रभावित हुई थी
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नई दिल्ली:

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बारापुला एक्सटेंशन प्रोजेक्ट में देरी, लागत बढ़ोतरी और आर्बिट्रेशन पेमेंट की जांच को लेकर एसीबी जांच के आदेश दिए हैं. यह आदेश मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सिफारिश पर जारी किया गया है. पीडब्ल्यूडी, राजस्व विभाग और डीटीएल से जुड़े मंत्री व सरकारी अधिकारी इस जांच के दायरे में हैं.

परियोजना में 10 साल से अधिक की देरी से सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है. भारत मंडपम अंडरपास निर्माण में भी इसी कंपनी (एल एंड टी) की लापरवाही सामने आई थी. एलजी ने निर्देश दिए हैं कि भविष्य की परियोजनाओं में कार्य आवंटन से पहले सभी नियामक अनुमतियां ली जाएं.

मामला पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सरकार के समय शुरू हुई परियोजना से जुड़ा है. 28 जुलाई 2025 को हुई व्यय वित्त समिति (EFC) की बैठक में एसीबी जांच की सिफारिश की गई थी. सीएम रेखा गुप्ता ने एसीबी जांच की कार्रवाई को मंजूरी दी, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी को एसीबी को सभी संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए.

बारापुला एक्सटेंशन में 175 करोड़ देने का आदेश 

बारापुला एक्सटेंशन का निर्माण 2017 में ही पूरा होना था, लेकिन कई कारणों के चलते इस परियोजना में देरी हुई. फिर ये मामला अर्बिट्रेशन में चला गया, जहां फ़ैसला कंपनी के पक्ष में हुआ. आरोप लगा कि पीडब्ल्यूडी के कुछ अधिकारियों ने कंपनी को फ़ेवर दिया. कंपनी को 120 करोड़ रुपए देने का आदेश हुआ. 2023 में फिर कंपनी कोर्ट चली गई, कोर्ट ने फिर 175 करोड़ देने का आदेश दिया.

ITO टनल को लेकर भी उठे सवाल 

बारापुला एक्सटेंशन का प्रोजेक्ट 2011 में बनाया गया और 2014 में 1260 करोड़ का प्रोजेक्ट 964 करोड़ में एक कंपनी ने लिया. लेकिन विभागों की लापरवाही के चलते ज़मीन अधिग्रहण से लेकर पेड़ काटने और बिजली के खंभे हटाने को लेकर कई ख़ामियां हुईं, जिससे कंपनी को फ़ायदा पहुंचा. कैबिनेट नोट में लिखा गया कि इसी कंपनी ने भारत मंडपम के पास ITO का टनल बनाया जिसमें इंजीनियरिंग ख़ामियों के चलते G20 के वक्त बदनामी का कारण बना.

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