राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने एक महिला के तलाकशुदा पति के माता-पिता की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश खारिज करते हुए कहा कि तलाक के आदेश के बाद घरेलू हिंसा याचिका में मुआवजे के अलावा कोई अन्य राहत नहीं मांगी जा सकती. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विक्रम एक महिला अदालत के उस आदेश के खिलाफ पति के माता-पिता की अपील पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे अदालत को पूर्व सूचना दिए बिना विदेश यात्रा पर न जाएं और वित्तीय विवाद प्रस्ताव (एफडीआर), यात्रा कार्यक्रम एवं अन्य विवरण प्रस्तुत करें.
कोर्ट ने कहा यात्रा प्रतिबंध लगाने की शर्तें अनुचित
व्यक्ति के माता-पिता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत दीवान ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला ने अलग रह रहे अपने पति से एकतरफा तलाक ले लिया है और विदेश यात्रा से संबंधित शर्तें अनुचित हैं.
अदालत ने पांच मई के अपने आदेश में कहा, "शिकायतकर्ता के वकील ने तलाक पर कोई बात नहीं की है, जिसकी प्रति रिकॉर्ड में दर्ज है. इसलिए तीन मई, 2025 को प्रभावी तलाक आदेश के बाद, याचिकाकर्ता ने जो मांग की थीं, उनमें से नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे को छोड़कर कोई अन्य राहत देनी बाकी नहीं है."
मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को खारिज करते हुए सत्र अदालत ने कहा कि मुआवजे की राहत कुर्की के जरिये प्रदान की जा सकती है और यात्रा प्रतिबंध लगाने की शर्तें अनुचित हैं.
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