कालुवितरणा या जयसूर्या नहीं बल्कि इस बल्लेबाज ने ODI में बदल दी ओपनिंग की परिभाषा, पूर्व भारतीय दिग्गज ने बताया 

Jayasuriya, Kaluwitharana, सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितरणा ने मिलकर वनडे क्रिकेट में ओपनिंग बल्लेबाजी की परिभाषा बदल कर रख दी थी. 1996 विश्व कप में दोनों ओपनर 15 ओवर के अंदर गेंदबाजों की ऐसी धुनाई करते थे कि विरोधी टीम पहले 15 ओवर में ही मैच से हाथ धो बैठता था. 

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who changed the definition of opening in ODI?

Who is the batsman who changed the definition of opening in ODI: ऐसा माना जाता है कि 90s के दशक में श्रीलंका के सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितरणा ने मिलकर वनडे क्रिकेट में ओपनिंग बल्लेबाजी की परिभाषा बदल कर रख दी थी. 1996 विश्व कप में दोनों ओपनर 15 ओवर के अंदर गेंदबाजों की ऐसी धुनाई करते थे कि विरोधी टीम पहले 15 ओवर में ही मैच से हाथ धो बैठता था. रोमेश कालूवितरणा और जयसूर्या ने मिलकर पहले 15 ओवर में धुआंधार बल्लेबाजी की रणनीति अपनाई थी. दोनों बल्लेबाजों को ही आजतक वनडे में ओपनिंग बल्लेबाजी की परिभाषा बदलने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन भारत के पूर्व दिग्गज नवजोत सिंह सिद्धू ऐसा नहीं मानते हैं. उनके नजर में पहले 15 ओवर में धुआंधार बल्लेबाजी करने की रणनीति का आगाज जयसूर्या और कालूवितरणा ने नहीं बल्कि भारत के एक दिग्गज बल्लेबाज ने की थी. 

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नवजोत सिंह सिद्धू के अनुसार वह बल्लेबाज कोई और नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर थे. दरअसल, आज यानी 24 अप्रैल 2024 के सचिन अपना 51वां बर्थडे मना रहे हैं. ऐसे में सिद्धू ने सचिन तेंदुलकर को लेकर स्टार स्पोर्ट्स पर बात की, पूर्व दिग्गज ने तेंदुलकर को लेकर कहा, "मैंने सचिन को रणजी ट्रॉफी में एक सत्र में शतक बनाते देखा था.  सचिन हमेशा  से रन बनाने में माहिर रहे हैं. 1994 में पंजाब और मुंबई के बीच रणजी ट्रॉफी मैच में उन्होंने केवल दो घंटे में शतक ठोक दिया था.  जब उन्होंने सलामी बल्लेबाजी शुरू की, तो सभी बाधाएं टूट गईं थी. "(Navjot Singh Sidhu on Sachin Tendulkar)

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सिद्धू ने आगे कहा, "सचिन पहले सलामी बल्लेबाज थे, जिन्होंने मैदानी प्रतिबंधों का फायदा उठाया और गेंद हमेशा हवा में रहती थी. प्रतिद्वंद्वी गेंदबाज़ आतंकित थे और उनकी आंखों में सचिन का डर था.  मैंने बहुत कम बल्लेबाजों को खेल पर इस तरह प्रभाव डालते देखा है."

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बता दें कि सचिन ने वनडे में 49 और टेस्ट में 51 शतक लगाने का कमाल किया है. तेंदुलकर विश्व क्रिकेट के इकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक दर्ज है. तेंदुलकर टेस्ट में 200 मैच खेलने वाले भी इकलौते खिलाड़ी हैं. साल 1989 में तेंदुलकर ने अपना डेब्यू किया था. 

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