2 years ago
नई दिल्ली:

वीरवार को नई दिल्ली के अरुण जेतली स्टेडियम में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए पांच टी20 मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में बहुत ही शानदार क्रिकेट हुयी. भारत हारा जरूर, लेकिन जिस तरह की क्रिकेट हुई, उससे फैंस को मजा तो खूब आया होगा. बहरहाल, इस मुकाबले में एक विवादित एलबीडब्ल्यू के फैसले को लेकर खूब शोर मच रहा है. इस फैसले में डीआरएस रिव्यू के तहत आतिशी पारी खेलने वाले रैसी वॉन डेर डुसेन को तब नॉटआउट करार दिया गया, जब वह रीप्ले में एकदम साफ नॉट आउट थे, लेकिन ऐसा हुआ नियम के कारण.

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आईसीसी की टी20 प्लेइंग कंडीशन के तहत नियम 3.4.6.4 एलबीडब्ल्यू आउट होने की सूरत में डीआरएस रिव्यू लेने की बात कहता है. यह दक्षिण अफ्रीका की पारी के आखिरी ओवर में लिया गया. नियम कहता है, " जब नॉटआउट निर्णय का रिव्यू (समीक्षा) किया जाता है. और जब सबूत  यह दिखाता है कि बॉल जब टकरा रही थी, तो पहले अवरोधन (रोक, बाधा या टकराव) का केंद्र बिंदु लाइन में था. साथ ही, गेंद लाइन में पिच (टप्पा खायी)  या ऑफ स्टंप के बाहर थी, लेकिन पहले अवरोधन का बिंदू स्टंप्स से 300 सेमी. या इससे ज्यादा था." इस सूरत में मैदानी फैसला नॉटआउट होगा.

संक्षेप में कहें, तो अगर एलबीडब्ल्यू की अपील और फैसले के रिव्यू के बाद बल्लेबाज को नॉटआउट दिया जाता है. और अगर बल्लेबाज और स्टंप के बीच की दूरी तीन मीटर या इससे ज्यादा होगा, तो यह निर्णय नॉटआउट होगा. फिर इसका कोई महत्व नहीं कि बॉल ट्रैकिंग सिस्टम क्या कहता है.

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यह नियम अहम पड़ाव पर अमल में लाया गया, जब दक्षिण अफ्रीका को जीतने के लिए 9 गेंदों पर 11 रन बनाने थे. यह हर्षल पटेल का फेंका 19वां ओवर था और उन्होंने शुरुआती 3 गेंदों पर 1 रन दिया था. चौथी गेंद पर हर्षल ने यॉर्कर फेंकने का प्रयास किया. यह गेंद वॉन डेर हुसेन की जांघ पर लगी. डुसेन स्लॉग स्वीप करने की कोशिश में चूक गए थे. इस पर ऑन-फील्ड अंपायर ने अपील को ठुकरा दिया, लेकिन जब वह साफ एलबीडब्ल्यू आउट होते दिख रहे थे, तो ऋषभ पंत  ने तुरंत ही रिव्यू लेने का फैसला किया.  रीप्ले में दिखाया कि गेंद वास्तव में गेंद बल्लेबाज के पैड पर उसके स्टंप्स की लाइन में खड़े रहते समय टकरा रही थी. और ऐसा लगा कि यह गेंद स्टंप्स से टकराती, लेकिन टीवी अंपायर ने मैदानी अंपायर के फैसले को बरकरार रखा  क्योंकि टकराव स्टंप्स से 300 सेमी. की दूरी से ज्यादा था. 

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