BCCI एक ‘दुकान’ है, इस पर ESI अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं: Supreme Court

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि ESI न्यायालय और उच्च न्यायालय ने ESI अधिनियम के तहत BCCI को ‘दुकान’ मानकर कोई गलती नहीं की.

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BCCI
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की गतिविधियां व्यावसायिक प्रकृति की हैं और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में इसे ‘दुकान' कहा जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ESI अधिनियम केंद्र द्वारा बनाया गया कल्याणकारी कानून है और इस अधिनियम में इस्तेमाल किए गए शब्दों से संकीर्ण अर्थ नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह इसके अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को उनके जीवन, स्वास्थ्य आदि से जुड़े विभिन्न जोखिमों के लिए बीमा करता है और नियोक्ता पर आरोप लगाता है. 

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न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि ESI न्यायालय और उच्च न्यायालय ने ESI अधिनियम के तहत BCCI को ‘दुकान' मानकर कोई गलती नहीं की.

पीठ ने कहा, “BCCI की व्यवस्थित गतिविधियों, विशेषकर उसके द्वारा क्रिकेट मैचों के टिकटों की बिक्री, मनोरंजन प्रदान करना, अपनी सेवाओं के लिए कीमत वसूल करना, अंतरराष्ट्रीय दौरों और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) से आय प्राप्त करने को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने सही निष्कर्ष निकाला है कि BCCI व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसलिए उसे ESI अधिनियम के प्रावधानों के तहत ‘दुकान' कहा जा सकता है.''

शीर्ष अदालत ने इन सवालों के जवाब में यह बात कही कि क्या BCCI को 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार ‘दुकान' कहा जा सकता है, और क्या ESI अधिनियम के प्रावधान BCCI पर लागू होंगे या नहीं.

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 की धारा 1(5) के प्रावधानों के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार BCCI ‘दुकान' के अर्थ के अंतर्गत आता है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘दुकान' शब्द की पारंपरिक अर्थों में व्याख्या नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इससे यह ESI अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा.

उन्होंने कहा कि ESI अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ‘दुकान' शब्द को व्यापक अर्थों में लिया जाना चाहिए.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि BCCI का अपने हलफनामे में यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि उसकी प्रमुख गतिविधि क्रिकेट और खेल को बढ़ावा देना है और इसलिए उसे ESI अधिनियम के तहत दुकान के अर्थों के अंतर्गत नहीं लाया जाना चाहिए.

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