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This Article is From Mar 19, 2017

उम्मीद से कम प्रदर्शन करने वाले कॉलेज-विश्वविद्यालय हो सकते हैं बंद या फिर होगा विलय

उम्मीद से कम प्रदर्शन करने वाले कॉलेज-विश्वविद्यालय हो सकते हैं बंद या फिर होगा विलय
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नयी दिल्ली: ‘‘उम्मीद से कम’’ प्रदर्शन करने वाले शिक्षण संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) समर्थित परामर्श कार्यक्रम के बावजूद अगर अपने प्रदर्शन में सुधार करने में नाकाम रहते हैं, तो ऐसे संस्थानों को या तो बंद करने के लिये कहा जा सकता है या फिर उनका विलय किया जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में यूजीसी पूर्ण रूप से तैयार है और प्रणाली के पुनर्गठन के लिये केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने एक प्रारूप तैयार किया है जो कहीं अधिक स्वायत्त और न्यूनतम नियमन को प्रोत्साहित करने वाला है.

उन्होंने कहा, ‘‘माना जा रहा है कि सभी शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों का ऑडिट किया जायेगा और मापदंडों के मुताबिक प्रदर्शन के आधार पर उन्हें तीन व्यापक वर्गों में वर्गीकृत किया जायेगा.’’ इन वर्गों में ‘‘उत्कृष्ट संस्थान’’, ‘‘सुधार की गुंजाइश रखने वाले संस्थान’’ और ‘‘उम्मीद से कम प्रदर्शन करने वाले संस्थान’’ शामिल किये जायेंगे.

उन्होंने बताया कि पहले वर्ग में शामिल संस्थानों को अधिक स्वायत्तता और अनुदान दिया जायेगा. दूसरे वर्ग के संस्थानों की कमियां तलाशकर अधिकारी सही उपाय का सुझाव देंगे.

सूत्रों ने कहा, ‘‘तीसरे वर्ग में चिह्नित विश्वविद्यालय और संस्थान यूजीसी से निर्देशित और मार्गदर्शित होंगे. हालांकि, ऐसा करने में उनके (शैक्षणिक संस्थान) नाकाम रहने पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन्हें बंद करने या अन्य संस्थानों के साथ विलय पर विचार कर सकता है.’’ वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पिछले महीने अपने बजट भाषण में यूजीसी पुनर्गठन और कई अन्य शिक्षण संस्थानों में सुधार की घोषणा की थी.

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