विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grant Commission) ने सोमवार को शारदा विश्वविद्यालय (Sharda University) से हिंदुत्व (Hindutva) और फासीवाद (fascism) के बीच समानता पर एक परीक्षा में उसके द्वारा पूछे गए “आपत्तिजनक” प्रश्न के बारे में रिपोर्ट मांगी. उच्च शिक्षा नियामक ने ग्रेटर नोएडा स्थित निजी विश्वविद्यालय को विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट में यह बताने को कहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं.
यूजीसी ने शारदा विश्वविद्यालय को भेजे एक पत्र में कहा, ‘‘संज्ञान में आया है कि छात्रों ने सवाल पर आपत्ति जताई और विश्वविद्यालय के समक्ष शिकायत दर्ज कराई. कहने की जरूरत नहीं है कि छात्रों से इस तरह का सवाल पूछना हमारे देश की भावना और लोकाचार के खिलाफ है, जो समावेशिता और एकरूपता के लिए जाना जाता है तथा इस तरह का सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए था.''
बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा में राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) के प्रश्नपत्र में छात्रों से 'हिंदुत्व-फासीवाद' के बारे में पूछा गया. सात अंकों के इस प्रश्न में पूछा गया, 'क्या आप फासीवाद/नाज़ीवाद और हिंदू दक्षिणपंथी (हिंदुत्व) के बीच कोई समानता पाते हैं? तर्कों के साथ बताएं.'
सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय ने 'प्रश्नों में पूर्वाग्रह की संभावना को देखने' के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि समिति ने प्रश्न को आपत्तिजनक पाया है और मूल्यांकन के उद्देश्य से मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा इसे अनदेखा किया जा सकता है. विश्वविद्यालय ने प्रश्न पत्र तैयार करने वाले संकाय सदस्य को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं