विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सितंबर तक एग्जाम कराने के यूजीसी के आदेश पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. NSUI के बाद दिल्ली विश्वविद्यालयों शिक्षक संगठन DUTA ने भी किया है. डीयू शिक्षक संघ का कहना है कि इस फैसले के पीछे सिर्फ बिजनेस को बढ़ावा देना है. शिक्षक संघ पहले से ही ओपन बुक एग्जाम का विरोध कर रहा था. अब उसका कहना है कि ऑनलाइन एग्जाम से छात्रों के एक बड़े वर्ग के साथ भेदभाव होगा और यह साफ जाहिर हो रहा है इस फैसले के पीछे शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बिजनेसों को बढ़ावा देना है. आपको बता दें कि यूजीसी की नई गाइडलाइन के मुताबिक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सितंबर के अंत तक फाइनल ईयर की परीक्षाएं ऑनलाइन या ऑफलाइन कैसे भी करा लेनी हैं. डूटा (DUTA) ने यह भी याद दिलाया कि किस तरह से ऑनलाइन मॉक टेस्ट के दौरान तकनीकी दिक्कतें आई थीं.
डूटा ने कहा कि गृहमंत्रालय की ओर जारी आदेश, जबकि कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, दिखाता है कि किस तरह से लाखों छात्रों की मानसिक और शारीरिक हित से समझौता किया गया है. डूटा ने कहा, 'यह हैरान करने वाला है कि डीयू जैसे प्रमुख विश्वविद्यालय ने भी जहां छात्र सपनों और महत्वाकांक्षाओं के साथ आते हैं, उनका ख्याल नहीं रखा है.'
आपको बता दें कि आधा दर्जन से राज्यों जैसे पंजाब, राजस्थान में परीक्षाएं कैंसिल कर दी गई हैं. कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने भी ऐसा किया है जिसमें आईआईटी बॉम्बे तक शामिल हैं. फिर भी यूजीसी ये गाइडलाइन ऐसे समय में आई है जब कोरोना वायरस के ऐक्टिव केसों की संख्या बढ़ती जा रही है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं