
UGC Chairman M Jagadesh Kumar: यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए. वह बीते तीन सालों से यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन थे. प्रोफेसर कुमार के इस कार्यकाल में यूजीसी ने कई बड़े बदलाव देखे हैं. यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार के नेतृत्व में उच्च शिक्षा में कई सुधार हुए, जिनमें प्रवेश प्रक्रिया, प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूजीसी-नेट, नीट, जेईई मेन और विश्वविदाय्वय में भर्ती प्रक्रिया से जुड़े कई दिशानिर्देशों में बदलाव शामिल है. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि में ड्यूल डिग्री यानी छात्रों को एक ही समय में दो डिग्री प्रोग्राम की अनुमति दी गई. इनके कार्यकाल में ही सीयूईटी यूजी (CUET UG) और सीयूईटी पीजी (CUET PG 2025) के संचालन के लिए संशोधित दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया गया. इन परीक्षाओं के सुधारों के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के साथ अनगिनत कार्य शामिल हैं. प्रोफेसर कुमार ने अपनी सेवानिवृत्ति की पुष्टि की है. हालांकि फिलहाल यह तय नहीं है कि अब उनकी अगली भूमिका क्या होगी.
इससे पहले एम जगदीश कुमार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNG) के वाइस चांसलर रह चुके हैं. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से एमएस (EE) और पीएचडी (EE) की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने अपना पोस्ट डॉक्टरल शोध वाटरलू, ओंटारियो, कनाडा के वाटरलू विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में किया. वे आईआईटी दिल्ली में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर रहे हैं. वे वर्तमान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष थे.
जेएनयू के 12वीं कुलपति
वह आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी थे. वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, में जनवरी 2016 से फरवरी 2022 तक विश्वविद्यालय के 12वें कुलपति रहे हैं. प्रोफेसर कुमार अभी भी आईआईटी दिल्ली में पढ़ाते हैं. उन्होंने फिलिप्स सेमीकंडक्टर्स, नीदरलैंड द्वारा आईआईटी दिल्ली में स्थापित एनएक्सपी (फिलिप्स) चेयर प्रोफेसर का पद संभाला है. उन्हें आईआईटी दिल्ली से 2013 में शिक्षण में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार मिला था.
250 से अधिक प्रकाशनों के साथ प्रकाशन
वह नैनोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, नैनोस्केल डिवाइस मॉडलिंग और सिमुलेशन, इनोवेटिव डिवाइस डिज़ाइन और पावर सेमीकंडक्टर डिवाइस के क्षेत्र में काम करते रहे हैं. उन्होंने तीन पुस्तकों, चार पुस्तक अध्यायों और रेफरीड पत्रिकाओं और सम्मेलनों में 250 से अधिक प्रकाशनों के साथ उपरोक्त क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रकाशन किया है. उनके शोध के आधार पर कई पेटेंट आवेदन दायर किए गए हैं.
29वें आईईटीई रामलाल वाधवा गोल्ड मेडल से सम्मानित
वे आईईईई जर्नल ऑफ द इलेक्ट्रॉन डिवाइसेस सोसाइटी सहित कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड में हैं और आईईटीई टेक्निकल रिव्यू के प्रधान संपादक हैं. वे नौ वर्षों तक आईईईई ट्रांजेक्शन ऑन इलेक्ट्रॉन डिवाइसेस के संपादक रहे. वे भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत और इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियर्स संस्थान, भारत के फेलो हैं. उन्हें सेमीकंडक्टर डिवाइस डिजाइन और मॉडलिंग के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए 29वें आईईटीई रामलाल वाधवा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था.
CSIR NET 2024: कब जारी होगा सीएसआईआर नेट का रिजल्ट? जानें क्या है लेटेस्ट अपडेट
IBM फैकल्टी पुरस्कार
उन्हें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर एसोसिएशन द्वारा दिया जाने वाला पहला टेक्नोमेंटर पुरस्कार भी मिला, जो एक प्रतिष्ठित भारतीय शिक्षाविद और शोधकर्ता को संरक्षक और शोधकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दिया जाता है. उन्हें पेशेवर उपलब्धियों के सम्मान में 2008 आईबीएम फैकल्टी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं