अदालत ने केन्द्र से कहा, UPSC परीक्षा में ट्रांसजेंडर को शामिल करने के लिए कदम उठाए जाएं

अदालत ने केन्द्र से कहा, UPSC परीक्षा में ट्रांसजेंडर को शामिल करने के लिए कदम उठाए जाएं

संघ लोक सेवा आयोग

नयी दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र को प्रतिष्ठित लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के आवेदन फार्म में ट्रांसजेंडर या थर्ड जेंडर को शामिल करने के लिए इससे संबंधित नियमों में ‘‘जल्दी’’ संशोधन करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया।

उच्चतम न्यायालय के 15 अप्रैल 2014 के ट्रांसजेंडर या किन्नरों को लिंग की तीसरी श्रेणी के रूप में कानूनी मान्यता देने के ऐतिहासिक फैसले के संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने केन्द्र से इस संबंध में तत्काल कदम उठाने को कहा।

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अतिरिक्त सालिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ से कहा था कि शीर्ष अदालत ने जून 2016 में उस आवेदन का निपटारा कर दिया है जिसमें इस बात पर स्पष्टीकरण दिया गया कि अप्रैल 2014 का फैसला केवल ट्रांसजेंडरों से संबंधित था और इसमें समलैंगिक महिला, पुरूष या बायसेक्सुअल शामिल नहीं थे। शीर्ष अदालत ने दोहराया था कि समलैंगिक महिला या पुरूष और बायसेक्सुअल तीसरे लिंग में शमिल नहीं हैं।

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एएसजी ने कहा कि चूंकि आवेदन शीर्ष अदालत के सामने लंबित है और इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया जा सकता था तथा चूंकि मुद्दे पर अब स्पष्टीकरण आ गया है, फैसले को लेकर नियमों में संशोधन किये जाएंगे।

अदालत ने अधिवक्ता जमशेद अंसारी द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा किया जिसमें पिछले साल 23 मई के यूपीएससी परीक्षा के नोटिस को ट्रांसजेंडर, तीसरे लिंग को 2015 के सिविल सेवा परीक्षा के आवेदन फार्म के लिंग विकल्प में शामिल नहीं के आधार पर चुनौती दी गई थी।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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