नयी दिल्ली:
सर्वोच्च न्यायालय ने निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला संबंधित अपने पहले के आदेश को वापस लेते हुए सोमवार को कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों में भी दाखिला अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के जरिए होगा। इससे पहले के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को दाखिले के लिए एनईईटी का रास्ता अपनाने की जरूरत नहीं है और वे परीक्षा लेकर स्नातक (यूजी) एवं स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं।
18 जुलाई, 2013 को आए आदेश की समीक्षा की अपील स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को छात्रों को एनईईटी के बगैर मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने की दी गई छूट वापस ले ली। संविधानपीठ में न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे, न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आर. भानुमति शामिल थे।
भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने सर्वोच्च न्यायालय से पूर्व के फैसले की समीक्षा की अपील की थी।
आदेश को वापस लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया था।
इस आदेश से देश के 600 निजी मेडिकल कॉलेज प्रभावित होंगे।
वर्ष 2013 में 18 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के बहुमत के फैसले में कहा गया था कि एमसीआई को एनईईटी के आयोजन का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह केवल मेडिकल शिक्षा का नियमन करती है।
18 जुलाई, 2013 को आए आदेश की समीक्षा की अपील स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को छात्रों को एनईईटी के बगैर मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने की दी गई छूट वापस ले ली। संविधानपीठ में न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे, न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आर. भानुमति शामिल थे।
भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने सर्वोच्च न्यायालय से पूर्व के फैसले की समीक्षा की अपील की थी।
आदेश को वापस लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया था।
इस आदेश से देश के 600 निजी मेडिकल कॉलेज प्रभावित होंगे।
वर्ष 2013 में 18 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के बहुमत के फैसले में कहा गया था कि एमसीआई को एनईईटी के आयोजन का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह केवल मेडिकल शिक्षा का नियमन करती है।
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