सहादत हसन मंटो (Saadat Hasan Manto) एक ऐसे कहानीकार थे जिन्हें अपनी कहानियों के चलते जेल जाना पड़ा और जुर्माना भी भरना पड़ा था. लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी अपनी लेखनी से समझौता नहीं किया. सहादत हसन मंटो की कहानियां आज भी समाज को आइना दिखाती हैं. आज सहादत हसन मंटो की पुण्यतिथि (Saadat Hasan Manto Death Anniversary) है. मंटो का जन्म 11 मई 1912 को पंजाब के समराला में हुआ था. जबकि उनका निधन 18 जनवरी, 1955 को लाहौर में हुआ था. सआदत हसन मंटो का शुमार ऐसे साहित्यकारों में किया जाता है जिनकी कलम ने अपने वक्त से आगे के ऐसे अफसाने लिख डाले जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है. मंटो (Manto) की कहानियां इंसान के लिए झकझोर देने वाली सचाइयां छोड़ जाती हैं. मंटो कहते थे, ''अगर आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है.''
मंटो (Manto) की प्रसिद्ध कहानियों में टोबा टेक सिंह, ठंडा गोश्त, बू, काली सलवार और खोल दो शामिल हैं. मंटो की पांच कहानियों पर मकदमें हुए थे. इनमें धुंआ, बू, ठंडा गोश्त, काली सलवार और ऊपर नीचे और दरमियान शामिल हैं. इनमें से चार मुकदमें अंग्रेजों के शासन काल में हुए, जबकि एक मुकदमा देश के बंटवारे के बाद के पाकिस्तान में हुआ. मंटो कहते थे, ''मैं सोसाइटी की चोली क्या उतारूंगा, जो है ही नंगी. मैं उसे कपड़े पहनाने की कोशिश नहीं करता, क्योंकि यह मेरा काम नहीं, दर्ज़ियों का काम है.''
शराब की तरह कहानी लिखने की भी लत पड़ गई है
मंटो (Saadat Hasan Manto) कहते थे अगर पूछा जाए कि मैं कहानी क्यों लिखता हूं, तो कहूंगा कि शराब की तरह कहानी लिखने की भी लत पड़ गई है. मैं कहानी न लिखूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि मैंने कपड़े नहीं पहने हैं या गुसल नहीं किया है या शराब नहीं पी हैं. दरअसल मैं कहानी नहीं लिखता हूं, बल्कि कहानी मुझे लिखती है. मैं बहुत कम-पढ़ा लिखा आदमी हूं. वैसे तो मैंने दो दर्जन किताबें लिखी हैं और जिस पर आए दिन मुकदमे चलते रहते हैं. जब कलम मेरे हाथ में न हो, तो मैं सिर्फ सआदत हसन होता हूं.
मैं एक जेबकतरा हूं जो अपनी जेब खुद काटता है
मंटो कहते थे, मैं एक जेबकतरा हूं जो अपनी जेब खुद काटता है. जब कहानियां तलाश-तलाशकर मैं थक जाता हूं, बीबी कहती है ज्यादा सोचो मत, लिखने बैठ जाओ. मैं उसकी बात मानकर लिखने बैठ जाता हूं और सचमुच लिखने लगता हूं, दिमाग मेरा खाली होती है सचमुच और जेब भरी. कोई अफसाना मेरी जेब से कूदकर बाहर आ जाता है. मैं खुद को इस दृष्टि से कहानीकार नहीं जेबकतरा मानता हूं जो अपनी जेब खुद काटता है और आपके हवाले कर देता है.
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