
गणतंत्र दिवस की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश में सभी को समान्य अधिकार देने के लिए 1950 में भारतीय संविधान के आखिरी प्रारूप को मंजूरी दी गई. संविधान के लागू होते ही देश में रहने वाले सभी नागरिकों को एक समान अधिकार दिए गए. खास बात यह है कि संविधान को आखिरी रूप देने के लिए संविधान सभा की स्थापना की गई थी. जिसने ने दो साल से ज्यादा की मेहनत के बाद एक ऐसे संविधान तैयार किया जो विश्व के अन्य देशों से अलग था. गणतंत्र दिवस के मौके पर आज हम आपसे संविधान से जुड़ी ऐसी ही 5 बाते साझा करने जा रहे हैं जो इसे सबसे अलग बनाती है.
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सबसे लंबा लिखा गया संविधान
भारत का संविधान अन्य देशों के संविधान की तुलना में हाथ से लिखा गया सबसे संविधान है. भारत के अलावा अन्य किसी भी देश का संविधान इतना लंबा नहीं लिखा गया है. इसके 25 भागों में 448 आर्टिकल्स और 12 सिड्यूल हैं. यही खासीयत इसे सबसे अलग बनाती है.
आखिरी रूप देने से पहले हुए 2000 बार संसोधन
यह बहुत कम ही लोगों को पता है कि जिस संविधान की वजह से आज हमारे देश में कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है उसे आखिरी रूप देने से पहले उसमें कई बार संसोधन किया गया था. उस समय गठित संविधान सभा में इसके प्रारूप को आखिरी रूप देने से पहले इसमें 2000 से ज्यादा बार संसोधन किए गए.
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संविधान बनाने में महिलाओं का भी था हाथ
हाथ से लिखे गए संविधान को 24 जनवरी 1950 की शाम को अंतिम रूप में स्वीकार किया गया. इसके बाद उस समय संविधान सभा के कुल 284 सदस्यों ने इसपर हस्ताक्षर किए. इन सदस्यों में कुल 15 महिलाएं भी शामिल थीं.
'बैग ऑफ बॉरोइंग' कहा जाता है अपना संविधान
भारत के संविधान को बैग ऑफ बॉरोइंग भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे तैयार करते समय संविधान सभा ने विश्व के अलग-अलग देश के संविधान से भी कई चीजें इसमें शामिल की थी.
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100 से ज्यादा बार हुए संसोधन
देश में संविधान लागू होने के बाद अभी तक इसमें कुल 100 से ज्यादा बार संसोधन किए जा चुके हैं. विश्व में इससे ज्यादा बार किसी भी संविधान में संसोधन नहीं किया गया है.
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सबसे लंबा लिखा गया संविधान
भारत का संविधान अन्य देशों के संविधान की तुलना में हाथ से लिखा गया सबसे संविधान है. भारत के अलावा अन्य किसी भी देश का संविधान इतना लंबा नहीं लिखा गया है. इसके 25 भागों में 448 आर्टिकल्स और 12 सिड्यूल हैं. यही खासीयत इसे सबसे अलग बनाती है.
आखिरी रूप देने से पहले हुए 2000 बार संसोधन
यह बहुत कम ही लोगों को पता है कि जिस संविधान की वजह से आज हमारे देश में कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है उसे आखिरी रूप देने से पहले उसमें कई बार संसोधन किया गया था. उस समय गठित संविधान सभा में इसके प्रारूप को आखिरी रूप देने से पहले इसमें 2000 से ज्यादा बार संसोधन किए गए.
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संविधान बनाने में महिलाओं का भी था हाथ
हाथ से लिखे गए संविधान को 24 जनवरी 1950 की शाम को अंतिम रूप में स्वीकार किया गया. इसके बाद उस समय संविधान सभा के कुल 284 सदस्यों ने इसपर हस्ताक्षर किए. इन सदस्यों में कुल 15 महिलाएं भी शामिल थीं.
'बैग ऑफ बॉरोइंग' कहा जाता है अपना संविधान
भारत के संविधान को बैग ऑफ बॉरोइंग भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे तैयार करते समय संविधान सभा ने विश्व के अलग-अलग देश के संविधान से भी कई चीजें इसमें शामिल की थी.
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100 से ज्यादा बार हुए संसोधन
देश में संविधान लागू होने के बाद अभी तक इसमें कुल 100 से ज्यादा बार संसोधन किए जा चुके हैं. विश्व में इससे ज्यादा बार किसी भी संविधान में संसोधन नहीं किया गया है.
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